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बहती नाक की परेशानी: एलर्जिक राइनाइटिस की रोकथाम का तरीका
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बहती नाक की परेशानी: एलर्जिक राइनाइटिस की रोकथाम का तरीका

बहती नाक की परेशानी: एलर्जिक राइनाइटिस की रोकथाम का तरीका

एलर्जी के कारण नाक की सूजन को एंटीहिस्टामाइन से ठीक किया जा सकता है, लेकिन इम्यूनोथेरेपी एक ऐसा उपाय है, जो लंबे समय तक राहत दे सकता है। डॉ. अलाप क्रिस्टी (बायोकेमिस्ट), डॉ. अपर्णा एच महाजन (ईएनटी स्पेशलिस्ट) के कोटेशन के साथ शिलांग निवासी 22 वर्षीय कॉलेज की छात्रा हेड्रिनिया शायला को 2015 में अचानक धूल के कण से एलर्जी की समस्या होने लगी। उन्हें एलर्जिक राइनाइटिस होने का पता चला। एलर्जी के कारण, घर के धूल भरे वातावरण में उनकी नाक इस हद तक परेशान हो जाती है कि उन्हें लगातार छींकें आने लगती है, आंखों से पानी बहने लगता है और खुजली होने लगती है। शायला कहती हैं, ”मौसमी बदलाव के दौरान यह और भी बदतर हो जाता है।”

शायला 2019 में बेंगलुरु रहने गई, जहां वह एक हॉस्टल में रहती थीं। हॉस्टल के वातावरण में रहने के कारण एलर्जी की समस्या और भी बदतर बन गई शायला कहती हैं, “मैं हमेशा सुबह छींक की समस्या के साथ जागती हूं और अपनी एलर्जी की रोकथाम के लिए हर दिन अपना कमरा साफ करती हूं। बार-बार छींक में एंटी-एलर्जी दवाएं लेने से मदद मिलती है, साथ ही मास्क भी पहनना पड़ता है।”

राइनाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसका अनुभव हमें सामान्य सर्दी होने के दौरान होता है। जब हमारे नाक के अंदर की लाइनिंग वायरस या अन्य रोग पैदा करने वाले कारकों से सूज जाती है। एलर्जिक राइनाइटिस को आमतौर पर एलर्जी के नाम से जाना जाता है, जिसमें परागण, धूल के कण, फफूंद आदि जैसे कुछ एलर्जी के कारकों के प्रति एलर्जिक रिएक्शन के कारण नाक में सूजन की समस्या हो जाती है। इससे बार-बार छींक आना, नाक बहना, आंखों में खुजली और थकान हो सकती है।

एलर्जिक राइनाइटिस के कारण

मुंबई के मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर के क्लिनिकल केमिस्ट्री विभाग के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट और साइंटिफिक बिज़नेस हेड डॉ. अलाप क्रिस्टी कहते हैं, “यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है और आनुवंशिक रूप से होती है।”

फरीदाबाद के अमृता हॉस्पिटल की ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. अपर्णा एच महाजन समझाती हैं, “एलर्जिक राइनाइटिस वाले लोगों का शरीर बाहरी कणों [एलर्जन] के प्रति वैसा ही रिएक्शन करता है, जैसे कि यह बैक्टीरिया और वायरस जैसे रोगों के कारक के प्रति करता है। एलर्जी की समस्या किसी के जीवन में कभी भी हो सकती है और अधिकांशतः पर्यावरण में बदलाव (जगह बदलने) के कारण होती है। इसमें चक्कर आना और अस्वस्थ महसूस करना [अनजान कारण से परेशानी की भावना] के अलावा व्यक्ति थका हुआ भी महसूस करता है।”

डॉ. क्रिस्टी कहती हैं कि एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षण ऊपरी रेसपिरेटोरी तंत्र तक सीमित रहते हैं और ऐसा नहीं है कि सभी प्रकार के राइनाइटिस में नाक बहने और छींक जैसे सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन नॉन-एलर्जी राइनाइटिस, जैसे वायरल या बैक्टीरिया जनित इन्फेक्टेड राइनाइटिस से अक्सर बुखार और बदन दर्द की समस्या हो सकती है।

एलर्जिक राइनाइटिस की जांच

एलर्जिक राइनाइटिस की जांच के लिए मुख्य रूप से ये टेस्ट किए जाते हैं:

डॉ. क्रिस्टी कहती हैं, “इसके लिए ब्लड (विशेष IGE) टेस्ट की जा सकती है। इस ब्लड (विशेष IGE) टेस्ट से इम्यूनोग्लोबुलिन E (IGE) की मात्रा को मापा जाता है। IGE की निर्दिष्ट मात्रा से एलर्जी की समस्या की पहचान की जाती है।”

डॉ. महाजन कहती हैं, “स्किन प्रिक टेस्ट भी की जा सकती है। यह टेस्ट एलर्जिक राइनाइटिस वाले लोगों के लिए बहुत संवेदनशील और विशिष्ट होती है, जिसमें स्किन पर चुभन द्वारा पर्यावरण और भोजन, दोनों से जुड़े एलर्जिक राइनाइटिस की समस्या का पता लगाया जाता है। हालांकि, यह विश्वसनीय नहीं है, क्योंकि यह एक मात्रा वाला परिणाम प्रदान नहीं करता है और इसके लिए कई बार स्किन में चुभन से गुजरना पड़ता है।”

एलर्जिक राइनाइटिस की जटिलताएं

डॉ. महाजन कहती हैं, “कोविड से इन्फेक्टेड होने के बाद कई लोगों की इम्यूनोजेनेसिटी [प्रतिरक्षा तंत्र को भेदने की बाहरी कण की क्षमता] बदल गई, जिससे उन लोगों में एलर्जी शुरू हो गई, जिन्हें पहले कभी एलर्जी नहीं हुई थी और जिन लोगों को पहले से ही एलर्जिक राइनाइटिस था, उनमें लक्षण खराब हो गए। इसके अलावा एलर्जी के लिए हाइपरसेंसिटिविटी बढ़ गई, जो गंभीर एलर्जिक राइनाइटिस का कारण बन सकती है, जिससे साइनसाइटिस, कान में दर्द या कान बंद होना और कान में कम सुनने जैसी समस्या हो सकती है।”

डॉ. महाजन बताती हैं, “अगर किसी व्यक्ति में एलर्जी राइनाइटिस होने की संभावना है, तो इससे व्यक्ति को अस्थमा भी हो सकता है। इसलिए यही कारण है कि एलर्जिक राइनाइटिस वाले कई लोग अस्थमेटिक भी हैं।”

ट्रीटमेंट

डॉ. क्रिस्टी का कहना है कि एलर्जिक राइनाइटिस जीवन भर रहने वाली समस्या है और इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन विभिन्न दवाओं के साथ-साथ एलर्जी की शुरुआती पहचान के साथ इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है और जोखिम से बचा जा सकता है।

डॉ. महाजन कहती हैं, “एंटीहिस्टामाइन और नेज़ल स्प्रे जैसी एलर्जी की दवाएं, जो आमतौर पर दुकानों पर मिलती है, उससे थोड़े समय के लिए राहत मिल सकती है। नेज़ल स्प्रे का उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है, क्योंकि इसके साइड इफेक्ट नहीं होते हैं।”

एलर्जिक राइनाइटिस को ठीक करने के लिए व्यक्ति होमियोपैथी या आयुर्वेद जैसे अन्य उपाय भी कर सकता है।

डॉ. क्रिस्टी कहती हैं, “एंटीहिस्टामाइन्स से लक्षण कम होते हैं, लेकिन इम्यूनोथेरेपी लंबे समय के लिए बेहतर उपाय है, क्योंकि यह एलर्जी की संवेदनशीलता को कम करता है।”

डॉ. महाजन का कहना है, “ऐसे व्यक्ति, जो जानवरों के बालों या परागकण जैसे पर्यावरण में एलर्जी की संभावनाओं से बच नहीं सकते हैं, या जिनके लक्षणों में उपचार से सुधार नहीं होता है, उन्हें इम्यूनोथेरेपी का सहारा लेना चाहिए, क्योंकि इससे 80 प्रतिशत तक लक्षणों की रोकथाम की जा सकती है।”

संक्षिप्त जानकारी

  • एलर्जिक राइनाइटिस में पर्यावरण में एलर्जी वाले पदार्थों के संपर्क में आने के कारण नाक में सूजन की समस्या होती है।
  • लक्षणों में बार-बार छींक आना, आंखों में खुजली और नाक बहना शामिल हैं। एलर्जी वाले अधिकांश लोग अस्थमेटिक भी होते हैं।
  • एलर्जिक राइनाइटिस की रोकथाम एंटीहिस्टामाइन और नेज़ल स्प्रे से की जा सकती है। अगर लक्षण बेहतर नहीं होते हैं, तो इम्यूनोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है।

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