एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायबिटीज़ वाले लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैं, बशर्ते उनका ब्लड शुगर लेवल अच्छी तरह से नियंत्रित हो और वे ज़रूरी सावधानी बरतें
ब्लड डोनेट करना एक महान काम है, क्योंकि इससे दुनिया भर में लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है, लेकिन टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोग शायद ऐसा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इन लोगों पर कुछ प्रतिबंध लगे होते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें पर्याप्त तैयारियां करने की ज़रूरत होती है। ब्लड शुगर पर बेहतर नियंत्रण रखने के साथ ही डोनेट करने के बाद सावधानी रखने से, डोनर और प्राप्तकर्ता दोनों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित हो सकता है। इन उपायों को करने के बाद अगर प्राप्तकर्ताओं को डायबिटीज़ वाले लोगों से ब्लड मिलता है, तो उनमें यह समस्या नहीं होगी।
इसके अलावा, हाल के रिसर्च में कहा गया है कि ब्लड डोनेशन के बाद शरीर में आयरन लेवल में कमी से इन्सुलिन सेंसिटिविटी बढ़ जाती है, जिससे अस्थायी रूप से इंसुलिन प्रोडक्शन और ग्लूकोज टॉलरेन्स में सुधार हो सकता है।
क्या डायबिटीज़ वाले लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैं?
बेंगलुरु के एस्टर सीएमआई हॉस्पिटल के हेमेटोलॉजी, हेमेटो-ऑन्कोलॉजी, पीडियाट्रिक हेमेटो-ऑन्कोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अनूप पी का कहना है, “कई ब्लड बैंक उन डोनर का ब्लड लेने से मना कर देते हैं, जिन्हें डायबिटीज़ है या वे दवाओं का सेवन कर रहे हैं। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है। इस बात की संभावना नहीं है कि अच्छी तरह से मैनेज किए गए ब्लड शुगर लेवल वाले व्यक्ति से लिया गया ब्लड, प्राप्तकर्ता के लिए खराबी ही करेगा। ये सिर्फ धारणाएं हैं कि अगर कोई डायबिटीज़ के लिए दवाएं ले रहा है, तो उसके ब्लड में इसकी कुछ मात्रा होगी, जो प्राप्तकर्ता में ब्लड शुगर लेवल को संभावित रूप से कम कर देगी। अच्छी तरह से नियंत्रित टाइप 2 डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को ब्लड डोनेट करने से बिल्कुल नहीं घबराना चाहिए, बशर्ते ब्लड बैंक इसे स्वीकार करे।”
कोच्चि के केएमके हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, चीफ मेडिकल ऑफिसर और कंसल्टेंट डॉ. विनायक हीरेमथ का कहना है, “आमतौर पर ब्लड बैंक डोनर और प्राप्तकर्ता, दोनों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए अनियंत्रित डायबिटीज़ वाले लोगों से ब्लड लेने में हिचकते हैं। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों में ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे ब्लड डोनेशन की उनकी पात्रता प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, डायबिटीज़ और संबंधित समस्याओं को मैनेज करने के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएं किसी व्यक्ति की ब्लड डोनेट करने की क्षमता पर भी प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, आमतौर पर उन्हें ऐसा करने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।”
टाइप 1 डायबिटीज़ और ब्लड डोनेशन
डॉ. हिरेमथ का कहना है, “आमतौर पर बच्चे या युवा लोग टाइप 1 डायबिटीज़ से पीड़ित होते हैं और इनको रोज़ इंसुलिन की ज़रूरत होती है। ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव और अन्य संबंधित समस्याओं (जैसे रेटिनोपैथी, न्यूरोपैथी, हार्ट संबंधी बीमारियां और इन्फेक्शन की संवेदनशीलता) के कारण, ऐसे लोगों को ब्लड डोनेट करते समय अधिक रुकावटों का सामना करना पड़ता है।”
डॉ. अनूप बताते हैं, “इसके अलावा, उनके ब्लड में इंसुलिन की बढ़ी हुई मात्रा हो सकती है, जो प्राप्तकर्ता के ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकती है। हालांकि इसका कोई ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं है, लेकिन ब्लड बैंक सुरक्षित रहने के लिए टाइप 1 डायबिटीज़ वाले लोगों से ब्लड नहीं लेते हैं।”
टाइप 2 डायबिटीज़ और ब्लड डोनेशन
डॉ. हिरेमथ का कहना है , “टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए ब्लड डोनेशन से जुड़ी समस्या उनकी बीमारी की गंभीरता और इलाज के प्लानिंग पर निर्भर है।”
डॉ. अनूप का कहना है, “अगर उन्हें अनियंत्रित डायबिटीज़ के अलावा अन्य संबंधित बीमारियां हैं, तो 350 से 400 ml ब्लड निकालने से कभी-कभी डोनर को कमज़ोरी हो सकती है या उन्हें चक्कर आ सकता है।”
उन्होंने कहा, “ब्लड बैंक डिमांड और सप्लाई पर भी निर्भर करती हैं। अगर किसी क्षेत्र में किसी विशेष ब्लड ग्रुप की कमी है, तो वे डायबिटीज़ वाले व्यक्ति से ब्लड ले सकते हैं। इसी तरह अगर पर्याप्त मात्रा में ब्लड उपलब्ध है, तो वे इंकार भी कर सकते हैं।”
इस बारे में गाइडलाइन्स क्या हैं?
राष्ट्रीय कानून और संस्थान डोनर और प्राप्तकर्ता, दोनों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए ब्लड डोनेशन के लिए कुछ पात्रता मानदंड रखते हैं। विभिन्न देशों द्वारा पालन किए जाने वाले कुछ ज़रूरी गाइडलाइन्स निम्न हैं:
♦ नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल, इंडिया
- अगर डायबिटीज़ वाले लोगों की समस्या डायट या सेवन करने वाली दवाओं से नियंत्रित स्थिति में है, तो वे ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
- जो लोग इंसुलिन पर निर्भर हैं, वे ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं।
♦ अमेरिकन रेड क्रॉस सोसायटी
- क्रोनिक डायबिटीज़ जैसी समस्या वाले लोग केवल तभी ब्लड डोनेट कर सकते हैं, जब उनका इलाज चल रहा हो और स्थिति नियंत्रण में हो।
♦ एनएचएस ब्लड और प्रत्यारोपण, यूके
- अगर डायबिटीज़ वाले लोगों की समस्या केवल डायट से नियंत्रित हो रही है या अगर वे चार सप्ताह या उससे अधिक समय से एक ही दवा का, एक ही मात्रा में सेवन कर रहे हैं, तो वे ब्लड डोनेट कर सकते हैं ।
- अगर लोगों को नियमित रूप से इंसुलिन द्वारा उपाय करने की ज़रूरत पड़ रही है या उन्होंने पिछले चार सप्ताह के भीतर इंसुलिन लिया है, तो वे ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं।
- अगर व्यक्ति हार्ट फैल्योर और अन्य संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं, तो वे ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं।
संक्षिप्त विवरण
- डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए ब्लड डोनेट करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि कई ब्लड बैंक इसे स्वीकार नहीं करते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिनका ब्लड शुगर लेवल अच्छी तरह से नियंत्रित है, वे ज़रूरी सावधानी के साथ डोनेट कर सकते हैं।
- डायबिटीज़ और अन्य संबंधित बीमारियों को मैनेज करने के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाओं से व्यक्ति के ब्लड डोनेट करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।
- ब्लड बैंकों की ज़रूरत डिमांड और सप्लाई पर भी निर्भर करती हैं। अगर किसी विशेष क्षेत्र में ब्लड ग्रुप की कमी हो, तो वे डायबिटीज़ वाले किसी व्यक्ति से ब्लड ले सकते हैं।
- डायबिटीज़ वाले लोगों को हाइपोग्लाइसीमिया जैसी समस्याओं को रोकने के लिए ब्लड डोनेट करने से पहले और बाद में अपने ब्लड शुगर के लेवल की ठीक से जांच करनी चाहिए। इसके अलावा, उन्हें पर्याप्त आराम भी करना चाहिए और इंजेक्शन वाले अंग पर इन्फेक्शन के लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए।