वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से 2021 तक देश में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड आहार के सेवन में काफी बढ़ोतरी हुई है।
628 हज़ार टन! जी हां, यह 2021 में भारतीयों द्वारा खाए गए इंस्टेंट नूडल्स का कुल वज़न है। इस वर्ष अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) पर लोगों ने कुल 2,535 अरब रुपये खर्च किए, जो पिछले वर्ष खर्च की गई राशि से 267 अरब रुपये अधिक थी। भारत में पिछले दशक की तुलना में UPF के सेवन में बहुत अधिक वृद्धि हुई है, जो देश में डायबिटीज़ और हार्ट संबंधी समस्याओं के बढ़ने के मुख्य कारणों में से एक है।
बैंगलोर के मिलर रोड स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन एंड डायबिटोलॉजिस्ट विभाग के कंसल्टेंट डॉ. प्रमोद वी सत्या का कहना है “स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं के होने के अनेक कारणों में से एक कारण प्रोसेस्ड फूड्स हैं और विशेष रूप से इसके कारण नॉन-कम्युनिकेबल डायबिटीज़ और हार्ट संबंधी समस्या की समस्याएं अधिक होती हैं।”
2011 से 2021 तक देश में UPF के सेवन के ट्रेंड पर अगस्त 2023 में प्रकाशित WHO-ICRIER (इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस) की रिपोर्ट बताती है कि लोगों में नाश्ते में खाए जाने वाले अनाज, रेडीमेड फूड्स, नमकीन स्नैक्स के सेवन के ट्रेंड में बहुत अधिक वृद्धि हुई है और विशेष रूप से 2019 में महामारी में लॉकडाउन के बाद इसमें बहुत अधिक वृद्धि देखी गई है।
भारतीय UPF मार्केट की पांच कैटेगरी
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय UPF मार्केट को पांच मुख्य कैटेगरी में बांटा गया है, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग तरह के निम्न फूड्स शामिल किए गए हैं:
- ब्रेकफास्ट सीरियल
भारत में नाश्ते के समय खाए जाने वाले अनाज की बिक्री में लगातार वृद्धि को देखते हुए, WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों को कम शुगर और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले इसके हेल्दी वर्ज़न को तत्काल ही सेवन शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि UPF के बहुत अधिक सेवन से देश में डायबिटीज़ की बीमारी बढ़ती जा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में छोटे बच्चों और किशोरों में प्रीडायबिटिक की समस्या में भी बहुत वृद्धि हुई है। इसलिए, प्रोडक्ट में सुधार की ज़रूरत है। जो आसान है और भविष्य में इससे मांग में वृद्धि होगी।”
2021 में नाश्ते में सेवन किए जाने वाले अनाजों में से जई, दलिया और मूसली की सबसे अधिक बिक्री देखी गई। 2011 में भारत में लगभग 12,000 टन कॉर्न फ्लेक्स की बिक्री हुई, जो 2021 में 40,000 टन (कीमत 14,008 मिलियन) हो गई।
- रेडीमेड और आसानी से उपलब्ध फूड्स
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में लॉकडाउन में ज़्यादातर कंपनियों द्वारा घर से काम करने का विकल्प चुनने के कारण रेडीमेड और आसानी से उपलब्ध फूड्स की मांग बढ़ गई है।
डॉ. सत्या का कहना है, “UPF तुरंत खाए जाने वाले फूड्स हैं, जो बिल्कुल भी हेल्दी नहीं होते हैं और UPF में बहुत अधिक मात्रा में रिफाइंड शुगर, कार्बोहाइड्रेट और सेचुरेटेड फैट होते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।”
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस कैटेगरी के फूड्स में अक्सर नमक, सोडियम और फैट की मात्रा अधिक होती है। खासकर ट्रांस फैटी एसिड की अधिक मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए चिंता का मुख्य विषय है। 2021 में, इस कैटेगरी में सबसे अधिक बिकने वाले फूड्स के रूप में सॉस, मसाले और फूड्स ड्रेसिंग आइटम शामिल थे, जिनका वज़न 814 हज़ार टन था। इसके बाद इंस्टेंट नूडल्स और खाने के लिए तैयार फूड्स का नंबर था, जिनका वज़न 450 हजार टन था।
- नमकीन स्नैक्स
2019 में महामारी के कारण कुल रिटेल बिक्री को देखा जाए, तो नमकीन स्नैक्स, ड्रिंक्स की बिक्री में भी काफी वृद्धि हुई। इस कैटेगरी में पोटैटो चिप्स, टॉर्टिला चिप्स, पफ्ड स्नैक्स, पॉपकॉर्न, सेवरी बिस्किट और अन्य भारतीय नमकीन स्नैक्स या नमकीन (जैसे भुजिया और सेव) शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई प्रोडक्ट में नमक और फैट की मात्रा WHO SEAR (साउथ-ईस्ट एशियन रीजन) न्यूट्रिशन प्रोफाइल मॉडल (NPM) के मानदंडों से तीन गुना से अधिक हैं। मार्केट में हेल्दी वैराइटी न आने के पीछे के मुख्य कारणों में से एक हेल्दी वर्ज़न के लिए सही पॉलिसी का न होना है।
हैप्पीएस्ट हेल्थ की वीडियो सीरीज़ ‘द व्हाई ऐक्सिस’ में बोलते हुए, बैंगलोर के सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के फिज़ियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनुरा कुरपाद ने कहा, “डायबिटीज़ से पीड़ित लोग शुगर से परहेज करते हैं, लेकिन वे नमकीन फूड्स का सेवन कर लेते हैं। अगर आप स्टार्च से बने बहुत सारे चिप्स या नमकीन स्नैक्स खा रहे हैं और सोच रहे हैं कि आप खुद को डायबिटीज़ से बचा रहे हैं, तो आप गलत हैं।
- चॉकलेट और मीठे आइटम्स
रिपोर्ट बताती है कि जब चॉकलेट और मीठे आइटम्स की बात आती है, तो रिटेल बिक्री मूल्य और मात्रा, दोनों में मीठे बिस्कुट का प्रतिशत सबसे अधिक था। मीठे बिस्कुट आपके हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं, क्योंकि इन्हें अक्सर नाश्ते (विशेष रूप से बच्चों द्वारा) में खाया जाता है और ये लंबे समय तक एक जैसे रहते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पॉलिसी बनाने के दौरान मीठे बिस्कुट की सब-कैटेगरी पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इसका सेवन ज़्यादातर बच्चे करते हैं। यह किफायती होते हैं और हेल्दी प्रोडक्ट के रूप में ऐसे फूड्स की मार्केटिंग में भी वृद्धि हुई है। मीठे बिस्कुट के बाद केक और पेस्ट्री के साथ-साथ आइसक्रीम और फ्रोजन डेसर्ट की बिक्री भी सबसे देखी गई।
- ड्रिंक्स (चीनी-युक्त और बिना चीनी वाली)
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और कोला की मार्केट में हिस्सेदारी में बहुत कमी देखी गई, लेकिन फ्लेवर्ड मिल्क और जूस प्रोडक्ट में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। अकेले 2021 में रिटेल मात्रा के आधार पर, स्क्वैश ड्रिंक्स की बिक्री सबसे अधिक हुई है, जो मार्केट का 77 प्रतिशत है।
कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सायन पॉल का कहना है, “इनमें से अधिकांश फूड्स में केमिकल और प्रिजर्वेटिव होते हैं, जो लंबे समय में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। वे ऐसी बीमारी भी पैदा कर सकते हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से कैंसर का कारण बन सकते हैं।”
रिपोर्ट यह भी बताती है कि महामारी के कारण लोगों ने कोला और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स की जगह पर जूस और फ्लेवर्ड मिल्क को अधिक अपनाया। इन प्रोडक्ट में शुगर अधिक मात्रा में होती है, जो एक हेल्दी विकल्प नहीं है। WHO ने हाल ही में शुगर-फ्री ड्रिंक्स में इस्तेमाल होने वाले एक लोकप्रिय आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम को संभावित रूप से कैंसर होने का कारण माना है।
इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडरेशन के डायबिटोलॉजिस्ट और चेयर-इलेक्ट (साउथ एशिया) डॉ. बंशी साबू ने कहा कि पॉलिसी को मज़बूती से लागू करने की ज़रूरत है, क्योंकि देश के सभी सामाजिक-आर्थिक बैकग्राउंड और आयु वर्ग के लोगों में UPF के सेवन का प्रतिशत (शुगर-युक्त ड्रिंक्स सहित) बढ़ रहा है। अब तक, भारत में कम से कम 101 मिलियन लोग डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, जबकि अन्य 136 मिलियन लोगों में प्री-डायबिटीज़ होने का अनुमान है।