तीन वर्ष पहले जब बेंगलुरु निवासी तेज़स्विनी लक्ष्मेश्वर का शुगर लेवल 280 तक पहुंच गया, तो उनके डायबिटेलॉजिस्ट ने उन्हें दवा देते हुए सख्ती से उन्हें अपने भोजन की मात्रा कम करने की सलाह दी। इसके अलावा, उन्हें अपने डायट से तीन महीने तक आलू का सेवन न करने की सलाह दी।
तीन महीने के बाद, लक्ष्मेश्वर ने फिर से आलू खाना शुरू कर दिया और अपने भोजन की मात्रा को नियंत्रित करना जारी रखा। वह हर सुबह एक घंटा टहलने लगीं और शुगर खाना छोड़ दिया। धीरे–धीरे उनका शुगर लेवल नियंत्रित होकर सामान्य हो गया। नौ महीने के बाद उनका वज़न भी 13 किलो कम हो गया था और फिर उन्होंने दवा लेना बंद कर दिया।
अब भी वह अपने मसाला डोसा में आलू डालती हैं, साथ ही कई अन्य सब्जियों में आलू डालकर बनाती हैं, लेकिन मात्रा सीमित रखती हैं। 46 वर्षीय लक्ष्मेश्वर का कहना है, “अगर आप आलू की मात्रा को सही तरीके से नियंत्रित करते हैं और बैलेंस्ड डायट लेते हैं, तो शुगर लेवल नहीं बढ़ता है।“
चाहे आप फ्रेंच फ्राइज़ खाएं, कुरकुरे पकोड़े (पकौड़े) बनाएं या शानदार करी खाएं या फिर सब्जी, आलू एक ऐसी सब्जी है, जिसे कई तरीकों से और कई सब्ज्यिों के साथ मिलाकर खाया जा सकता है और इसमें कार्ब की मात्रा बहुत अधिक होती है। जब हेल्दी डायट के साथ सही शुगर लेवल और वज़न को नियंत्रित करने की बात आती है, तो हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) और कार्बोहाइड्रेट आइटम्स को देखते हुए, डायबिटीज़ वाले लोगों को आलू खाने की सलाह नहीं दी जाती है।
हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायबिटीज़ वाले लोगों को डायट में आलू की थोड़ी मात्रा खाने से उतना जोखिम नहीं है, जितना कि अनुमान लगाया जाता है।
डायबिटीज़ वाले लोग आलू कैसे खा सकते हैं?
बैंगलोर के सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बेलिंडा जॉर्ज का कहना है, “डायबिटीज़ वाले लोगों को रोटी, चपाती या चावल के साथ आलू की सब्जी नहीं खानी चाहिए, बल्कि फिश और मीट, जैसी प्रोटीन के साथ आलू खाना सबसे अच्छा है।
दिल्ली स्थित न्यूट्रिशनिस्ट अवनी कौल का कहना है कि आलू का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) अधिक होता है और इससे ब्लड शुगर लेवल तुरंत बढ़ सकता है। हालांकि, यह वृद्धि आलू के साइज़, खाना पकाने का तरीका और आलू वाले भोजन के प्रति व्यक्तिगत सहनशीलता पर भी निर्भर है और यह अलग–अलग लोगों में अलग–अलग हो सकती है।
कौल का कहना है, “डायबिटीज़ से पीड़ित लोग आलू खा सकते हैं, लेकिन मात्रा पर नियंत्रण रखना और सही तैयारी से तैयार करना बहुत ज़रूरी है।“
डायबिटीज़ वाले लोग कितने आलू खाकर सुरक्षित रह सकते हैं?
कौल का कहना है कि आलू के साइज़ के प्रति व्यक्तिगत सहनशीलता अलग–अलग होती है, लेकिन डायबिटीज़ मरीज़ आमतौर पर लगभग आधा कप पका हुआ, बिना स्टार्च वाला आलू खा सकते हैं।
वह चेतावनी देती हैं, “हमेशा अपना ब्लड शुगर लेवल जांचें और अगर आप डायबिटीज़ मरीज़ हैं, तो आलू खाने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें“
आलू का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कैसे कम करें?
बैंगलोर के एस्टर आरवी हॉस्पिटल की चीफ न्यूट्रिशनिस्ट सौमिता बिस्वास के अनुसार, “डायबिटीज़ वाले लोगों को अपने हर डायट में आलू शामिल करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, वे इन तरीकों से ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम कर सकते हैं।“
बिश्वास का कहना है, “आलू में छिलका रहने से फाइबर बढ़ता है, जिससे डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए आलू का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो जाता है। आलू उबालने से भी ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। इसके अलावा, एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स के जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च आर्टिकल के अनुसार, ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने के लिए लोग आलू को पकाकर ठंडा करके खा सकते हैं या फिर दोबारा गर्म करके खा सकते हैं। हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने का एक और उपाय बहुत सारी सब्जियों और प्रोटीन के साथ आलू खाना है।“
हर सब्जी में आलू डालने से परहेज करें: बिस्वास याद दिलाती हैं, “भारतीय लोग अक्सर अपनी सब्जियों में आलू डालते हैं और इसे चावल के साथ खाते हैं। इस आदत को बदलना चाहिए।“
डायट की प्लानिंग: एक्सपर्ट कहते है कि अपने भोजन में आलू को डालने का स्मार्ट तरीका यह है कि इसकी थोड़ी मात्रा डालें। इसके अलावा, कौल सुझाव देती हैं, “आलू को तलने के बजाय, उनके न्यूट्रिशन वैल्यू को बनाए रखने और ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने के लिए उन्हें बेकिंग, बॉइलिंग या स्टीम में पकाने का विकल्प चुनें। इसके अलावा, आलू खाने वाले लोगों को ब्लड शुगर लेवल को ठीक से मैनेज करने के लिए संपूर्ण, कम ग्लाइसेमिक डायट का सेवन करना चाहिए।“
एक्सपर्ट का सुझाव: डायबिटीज़ वाले लोगों को आलू खाने से पहले हमेशा अपने शुगर लेवल की जांच करनी चाहिए और सर्टिफाइड डायटीशियन से सलाह लेनी चाहिए।
डायबिटीज़ मरीज़ों के लिए आलू की सब्जी बनाने के उपाय
कम GI वाले आलू की वेराइटी चुनें: आलू के कुछ वेराइटी में GI दूसरे वेराइटी से कम होता है। कौल का कहना है, “आमतौर पर शकरकंद और नए आलू में स्टार्चयुक्त सफेद आलू की तुलना में कम GI होता है।“
तलने से बचें: आलू को तलने से बचें, क्योंकि एक्सट्रा फैट और खाना पकाने के अधिक तापमान के कारण GI बढ़ जाता है।
खाना पकाने के सही तरीके अपनाएं: आलू पकाने के तरीकों से GI पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। कौल सलाह देती हैं, “खाना पकाने के उन तरीकों को चुनें, जो आलू की नेचुरल फाइबर को सुरक्षित रखें और पाचन को धीमा करें।“
आप क्या करें:
बॉइलिंग: पकाए हुए आलू की तुलना में उबले हुए आलू में कम GI होता है। कौल सावधान करती हैं, ”फाइबर की मात्रा बनाए रखने के लिए उन्हें ज़्यादा न पकाएं।”
बेकिंग: आलू को छिलके के साथ पकाने से फाइबर और न्यूट्रिशन बनी रहती है। फाइबर होने से शुगर धीरे–धीरे रिलीज होती है।
स्टीम करें: भाप में पकाने से भी आलू में फाइबर को बनाए रखने और उसके GI को कम करने में मदद मिल सकती है।
प्रोटीन और फाइबर के साथ आलू खाएं: प्रोटीन या फाइबर के साथ आलू खाने से कार्बोहाइड्रेट के पाचन को धीमा करने और ब्लड शुगर लेवल पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकता है।
मात्रा को नियंत्रित करें: कम GI के लिए पकाने के सही तरीकों के साथ मात्रा पर भी नियंत्रण ज़रूरी है। आलू की थोड़ी मात्रा खाने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
कम GI वाले अन्य फूड्स को शामिल करें: अगर आप अपने फूड्स को कम GI वाले अन्य फूड्स के साथ खाएं, तो इससे ग्लाइसेमिक लेवल संतुलित रहेगा।
ब्लड शुगर का ध्यान रखें: डायबिटीज़ वाले लोगों को हमेशा अपने ब्लड शुगर लेवल का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि वे जान सकें कि अलग–अलग फूड्स उन्हें कैसे प्रभावित करते हैं। वे डायबिटीज़ पर नियंत्रण पाने के लिए डॉक्टर और डायटीशियन की भी सलाह ले सकते हैं।
संक्षिप्त विवरण
- बॉइलिंग या बेकिंग से आलू का हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो सकता है। आलू को फाइबर के साथ तैयार करने से यह डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए उपयुक्त भोजन हो सकता है।
- डायबिटीज़ वाले लोगों को अन्य प्रकार के कार्बोहाइड्रेट के साथ आलू खाने से बचना चाहिए।
- वे अपने डायट में आलू की मात्रा को लेकर भी सतर्क रहें।