अफ्रीकन स्वाइन फीवर से सूअर सबसे अधिक इन्फेक्टेड होते हैं और इस बीमारी की रोकथाम करने के लिए सूअर को खत्म कर दिया जाता है। इसके बाद सुरक्षित तरीके से शवों को समाप्त किया जाता है। स्वाइन फ्लू की तरह यह लोगों में नहीं फैलता है ।
शुक्रवार को केरल के कन्नूर के कनिचर स्थित एक सुअर फार्म में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की बीमारी की सूचना मिली। इसके बाद, स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने फार्म में सूअरों को खत्म करने का आदेश दिया और फार्म के चारों ओर एक किलोमीटर के एरिया को इन्फेक्टेड एरिया घोषित कर दिया। इसके अलावा, फॉर्म से 10 किलोमीटर की दूरी तक के एरिया की निगरानी की जा रही है।
जिला पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने हैपीएस्ट हेल्थ को बताया कि केवल एक फार्म पर इन्फेक्शन होने की जानकारी मिली। 18 अगस्त को मिली सूचना के बाद कलेक्टर के आदेश के अनुसार अगले दिन सूअर को खत्म कर दिया गया। अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कोई इलाज या वैक्सीन अभी तक नहीं बना है, इसलिए सूअरों को खत्म करना ही बीमारी को रोकने का एकमात्र उपाय है।
केरल के वेटरनेरी एंड एनिमल साइसेज़ यूनिवर्सिटी (KVASU) के एकेडिमिक और रिसर्च डायरेक्टर डॉ. सी लता का कहना है, “अफ्रीकन स्वाइन फीवर पर नियंत्रण के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीज़र के अनुसार, इन्फेक्टेड एरिया में सूअर का मांस बेचा नहीं जाना चाहिए या खाना नहीं चाहिए। यह बहुत अधिक संक्रामक बीमारी है, इसलिए इन्फेक्टेड फार्म के सभी सूअरों को खत्म कर देना चाहिए और उसके बाद उनके शवों का उचित तरीके से समाप्त करना चाहिए।”
अफ्रीकन स्वाइन फीवर क्या है?
यूनाइटेड स्टेट्स के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, अफ्रीकन स्वाइन फीवर सूअरों में फैलने वाली एक घातक वायरल बीमारी है, जिसका ‘फूड सिक्योरिटी, लाइफ, नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट्स पर गंभीर प्रभाव‘ पड़ता है। इसके लक्षणों में सूअरों में भूख की कमी, कमज़ोरी और अचानक मृत्यु होना शामिल हैं।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर और स्वाइन फ्लू के बीच अंतर
केरल के कोट्टायम स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर (इन्फेक्शियस डिजीज़) डॉ. नेट्टो जॉर्ज का कहना है कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर लोगों के लिए चिंता की बात नहीं है, क्योंकि यह बीमारी केवल सूअरों और जंगली सूअरों को ही होती है। हालांकि यह सूअरों के लिए बहुत अधिक संक्रामक और जानलेवा बीमारी है, लेकिन मनुष्यों में नहीं फैलती है और स्वाइन फ्लू कहे जाने वाले H1N1 इन्फ्लूएंजा से इसका कोई संबंध नहीं है।
डॉ. जॉर्ज का कहना है, “अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक अलग तरह की बीमारी है। यह एक DNA वायरस है और आसानी से म्यूटेट नहीं होता है और सूअरों से मनुष्यों में नहीं फैलता है। स्वाइन फ्लू या H1N1 वायरस, सूअरों से मनुष्यों में फैलने की संभावना कम होती है, क्योंकि वायरस में म्यूटेशन्स होता रहता है। स्वाइन फ्लू इंसान से इंसान में फैल सकता है।”
डॉ. लता का कहना है कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बीमार सूअरों को खत्म कर देना चाहिए और शवों को सुरक्षित रूप से निपटाना चाहिए। स्वाइन फ्लू के मामले में, अगर सूअर के मीट को सुरक्षित रूप से पकाया जाए, तो उसे खाया जा सकता है। केरल में, आमतौर पर सूअर के मीट को बहुत अच्छी तरह से पकाया जाता है, जिसका राज्य में पिछले स्वाइन फ्लू के प्रकोप के दौरान लाभ मिला था।
स्वाइन फ्लू क्या है?
बेंगलुरु के ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के इन्फेक्शियस डिजीज़ कंसल्टेंट डॉ. नेहा मिश्रा का कहना है कि इन्फ्लूएंजा वायरस चार प्रकार के होते हैं – A, B, C और D। स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा A वायरस का ही एक प्रकार है। इनमें से, इन्फ्लूएंजा A और B से अधिकांशतः मौसमी फ्लू की बीमारी होती है। इन्फ्लुएंजा A H1N1 और H3N2 सबसे अधिक देखे जाते हैं। A H1N1 को आमतौर पर स्वाइन फ्लू कहा जाता है।
डॉ. जॉर्ज का कहना है, “इन्फेक्शन को स्वाइन फ्लू कहा जाता है, क्योंकि यह वायरस सूअरों से म्यूटेट होकर मनुष्यों में आया था। इसे शुरू में स्वाइन फ्लू कहा गया। जब यह मनुष्यों में फैल गया है, तो हम इसे H1N1 वायरस कहने लगे।”
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, आमतौर जब पर सूअरों में देखे जाने वाले इन्फ्लूएंजा वायरस जैसे कि H1N1v और H3N2v लोगों में पाए जाते हैं, तो उन्हें ‘वेरिएंट‘ फ्लू वायरस कहा जाता है।
स्वाइन फ्लू इंसानों को कैसे प्रभावित करता है?
डॉ. मिश्रा का कहना है, “आमतौर पर प्रभावित लोगों में फ्लू के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ लोगों को इन्फेक्शन से अधिक गंभीर समस्या हो सकती है। इसमें छोटे बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाओं के साथ कमज़ोर इम्यून क्षमता वाले लोग शामिल हैं, जैसे कि लंबे समय से डायबिटीज़, क्रोनिक लीवर रोग, क्रोनिक किडनी रोग या कीमोथेरेपी करा रहे लोग शामिल हैं।”
डॉ. मिश्रा का कहना है, “इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी और सर्दी, गले में खराश, थकान, सिरदर्द और शरीर में दर्द होना शामिल हैं। स्वाइन फ्लू अपने–आप ही ठीक होने वाली बीमारी है। ज़्यादातर, इस बीमारी से अपर रेसपिरेटोरी ट्रैक्स प्रभावित होता है। दुर्लभ मामलों में, यह अन्य संबंधित बीमारियों वाले लोगों में लोअर रेसपिरेटोरी ट्रैक्स के इन्फेक्शन का कारण बन सकता है।”
डॉ. जॉर्ज बताते हैं, ”सामान्य लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण बहुत सामान्य होते हैं, जबकि कुछ लोगों को नाक बहने और गले में खराश की समस्या हो सकती है। यह अधिक गंभीर रूप में भी हो सकता है, लेकिन यह बहुत कम होता है।”
क्या मनुष्यों को सूअरों से फ्लू हो सकता है?
डॉ. मिश्रा बताते हैं, ”अगर स्वाइन फ्लू की बात की जाए, तो इन्फेक्शन जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है और रेसपिरेटोरी स्राव के माध्यम से इसके विपरीत भी हो सकता है, जैसे मौसमी फ्लू फैलता है। CDC के अनुसार, इन्फेक्शन उन स्थानों को छूने से फैल सकता है, जहां इन्फेक्टेड बूंदें पड़ती हैं और फिर यहां से आपकी आंखों, नाक या मुंह को छूने से फैल सकता है।”
H1N1 वायरस के इंसान से इंसान में फैलने के बारे में बात करते हुए डॉ. जॉर्ज का कहना है, “अगर आप किसी इन्फेक्टेड व्यक्ति से आमने–सामने बात कर रहे हैं, तो जर्म्स आपकी नाक और मुंह में जा सकते हैं।”
संक्षिप्त विवरण
केरल के कन्नूर में अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैलने की सूचना मिली है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इससे लोगों के स्वास्थ्य को कोई चिंता नहीं है। यह बीमारी सूअरों के लिए बहुत अधिक संक्रामक और घातक है, लेकिन उनसे मनुष्यों में नहीं फैलती है।