0

0

0

0

0

0

विषयों पर जाएं

Dengue: डेंगू रिपोर्ट्स में हो सकता है यह अंतर
17

Dengue: डेंगू रिपोर्ट्स में हो सकता है यह अंतर

देशभर में डेंगू के मामलों में भारी वृद्धि के बीच, गलत टेस्ट के रिजल्ट को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं।

देशभर में डेंगू के मामलों में भारी वृद्धि के बीच, गलत टेस्ट के रिजल्ट को लेकर भी चिंताएं हैं। डॉक्टरों को डेंगू टेस्ट रिपोर्ट के गलत होने के मामले सामने आए हैं। जिन लोगों का टेस्ट हुआ है उन लोगों में भी डेंगू जैसी बीमारियों के विशिष्ट लक्षण देखे गए हैं।

फाल्स नेगेटिव रिजल्ट तब होते हैं जब व्यक्ति के संक्रमित होने के बावजूद परीक्षण में वायरस का पता नहीं चलता है, जिसके परिणामस्वरूप पॉजिटिव के बजाय नेगेटिव रिपोर्ट आती है। इसी तरह की समस्या कोविड महामारी के दौरान देखी गई थी, जिसमें फाल्स नेगेटिव रिपोर्टें भ्रम पैदा करती थीं।

विशेषज्ञों का कहना है कि फाल्स नेगेटिव मामलों का पूर्वानुमान और उपचार पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि डेंगू के लिए कोई खास उपचार नहीं है। इस दौरान सिंप्टमैटिक ट्रिटमेंट पर ध्यान देना चाहिए।

बेंगलुरु के एक पांच साल के बच्चे ने हाल ही में बुखार, गले में खराश, सिरदर्द और कम भूख जैसे लक्षणों का अनुभव किया। उन्हें पेरासिटामोल और लोजेंजेस जैसी कुछ दवाएं दी गईं, लेकिन पांच दिनों के बाद भी लक्षण कम नहीं हुए, जिससे उनके माता-पिता को आगे का उसका इलाज करना पड़ा।

अथ्रेया अस्पताल, बेंगलुरु के संस्थापक और चिकित्सा निदेशक डॉ नारायणस्वामी एस कहते हैं, “ब्च्चे को गंभीर मायलगिया के कारण चलने में कठिनाई होने लगी और वह डिहायड्रेट भी हो गया।” “बच्चे के लक्षणों से संकेत मिला कि वह डेंगू से पीड़ित हो सकते हैं और उसे भर्ती कराया गया। लेकिन डेंगू का पता लगाने के लिए किए गए रैपिड और एलिसा परीक्षण दोनों में बच्चे के ब्लड सैंपल डेंगू के लिए नेगेटिव निकले।

(ELISA) एलिसा – एक स्क्रीनिंग टेस्ट है जो रोगज़नक़ के खिलाफ एंटीजन और एंटीबॉडी के होने का पता लगाता है – इसे डेंगू के लिए सबसे स्पेसिफिक टेस्ट माना जाता है।

बच्चे की पूरी ब्लड काउंट रिपोर्ट में प्लेटलेट काउंट में गिरावट देखी गई। सामान्य 1.5 लाख से 5 लाख प्लेटलेट्स के मुकाबले उनके पास केवल 1 लाख थे। उनकी वाइट ब्लड सेल्स (डब्ल्यूबीसी) 1,000 से कम थीं – जबकि सामान्य तौर पर प्रति माइक्रोलीटर 4,500 से 11,000 डब्ल्यूबीसी होती हैं।

इस मामले में, यह या तो डेंगू हो सकता था या डेंगू जैसा बुखार, लेकिन बच्चे को कंजेशन भी था।

डायग्नोस अज्ञात ओरिजन का बुखार था। बच्चे को सिंप्टेमैटिक ट्रिटमेंट दिया गया जिसमें आईवी तरल पदार्थ और दर्द निवारक दवाएं शामिल थीं। डेंगू से उबरने के दौरान पोषण बहुत मायने रखता है, डेंगू-बुखार वाले आहार में कम फैट और हाई फ्लूइड के सेवन की आवश्यकता होती है।

बच्चे तीन दिनों के भीतर पूरी तरह से ठीक हो गया और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

 

फॉल्स नेगेटिव रिजल्ट का क्या कारण है?

सैनेटिव हेल्थकेयर, दिल्ली की सलाहकार संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. छवि गुप्ता के अनुसार, फॉल्स नेगेटिव रिपोर्ट में योगदान देने वाले फैक्टर में परीक्षण में कोई गलती,स्पीसमेन कलेक्शन, टेस्टिंग किट्स की अशुद्धि और इस्तेमाल किए गए डेंगू एंटीजन और डेंगू एंटीबॉडी की गुणवत्ता शामिल है।

डॉ. गुप्ता कहते हैं, ”शुरुआती पांच दिनों में, वायरस शरीर में घूम रहा होता है, इसलिए इसका निदान एंटीजन से करना पड़ता है।” “उसके बाद एंटीजन कम हो जाता है और एंटीबॉडी बढ़ जाती है। रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल समझदारी से करना होगा।” 

डेंगू वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी आईजीएम और आईजीजी का संक्रमण का संकेत है। जबकि IgM एंटीबॉडी का मतलब होने वाला संक्रमण है और IgG एंटीबॉडी से पता चलता है कि व्यक्ति को हाल ही में संक्रमण हुआ था।

डॉ. अनिकेत मुले, सलाहकार कहते हैं, “मामले के परिदृश्य के आधार पर सावधानीपूर्वक परीक्षण का आदेश दिया जाना चाहिए।” “परीक्षण का दिन भी मायने रखता है। यदि शुरुआती दिनों में एंटीबॉडी परीक्षण का आदेश दिया जाता है और एंटीबॉडी बनने में पांच से सात दिन लगते हैं, तो यह फॉल्स नेगेटिव रिजल्ट दे सकता है।

(NS1) एनएस1 एंटीजन टेस्ट में, संक्रमण का पता तभी चलता है जब प्रारंभिक चरण में परीक्षण किया जाता है – यानी, लक्षण दिखाई देने के शुरुआती सात दिनों में।

डॉ. गुप्ता कहते हैं, “किस ‘टेस्ट का उपयोग करना है और इसके बारे में ज्ञान की कमी है तो प्रयोगशाला में कुछ तकनीकी टेकनिक भी फॉल्स नेगेटिव रिपोर्ट का कारण बन सकती हैं। “यदि संदेह बहुत अधिक है, तो कोई एलिसा किट के साथ कन्फर्मेशन टेस्ट करवा सकता है।

डॉक्टरों का कहना है कि गलत रिपोर्ट आने पर सिंप्टोमेटिक ट्रीटमेंट किया जाता है, चाहे रिपोर्ट कुछ भी हो।

 

टेकअवे

♦ डेंगू के फॉल्स नेगेटिव रिपोर्ट मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है।

♦ फॉल्स नेगेटिव रिपोर्ट तब होते हैं जब व्यक्ति के संक्रमित होने के बावजूद परीक्षण में वायरस का पता नहीं चलता है।

♦ फॉल्स नेगेटिव रिपोर्ट के कारणों में टेस्ट में गलती, स्पेसिमेन कलेक्शन, टेस्ट किट्स की अशुद्धि और उपयोग किए गए डेंगू एंटीजन और डेंगू एंटीबॉडी की गुणवत्ता शामिल है।

♦ डेंगू के टेस्ट में रैपिड डेंगू आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट, रैपिड डेंगू आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट, डेंगू एलिसा टेस्ट, डेंगू बुखार एनएस1 एंटीजन टेस्ट और डेंगू आरटी-पीसीआर टेस्ट शामिल हैं।

♦ डेंगू के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, और ध्यान रोगसूचक उपचार पर है।

अपना अनुभव/टिप्पणियां साझा करें

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

nine − four =

प्रचलित

लेख

लेख
चूंकि शोल्डर इम्पिंगमेंट सिंड्रोम रिवर्सिबल है, यह सलाह दी जाती है कि जैसे ही दर्द के शुरुआती लक्षण दिखाई दें, आप डॉक्टर से मिलें
लेख
लेख

0

0

0

0

0

0

Opt-in To Our Daily Newsletter

* Please check your Spam folder for the Opt-in confirmation mail

Opt-in To Our
Daily Newsletter

We use cookies to customize your user experience, view our policy here

आपकी प्रतिक्रिया सफलतापूर्वक सबमिट कर दी गई है।

हैप्पीएस्ट हेल्थ की टीम जल्द से जल्द आप तक पहुंचेगी