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Food For Lungs: फेफड़ों को स्वस्थ बनाने वाले आहार खाएं
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Food For Lungs: फेफड़ों को स्वस्थ बनाने वाले आहार खाएं

फेफड़ों के अनुकूल खाद्य पदार्थ

आपकी डायट आपको बेहतर सांस लेने में मदद कर सकती है। हेल्दी डायट सांसों से संबंधित समस्याओं और सूजन के जोखिम को कम कर सकती है। क्या आप जानते हैं कि हेल्दी डायट से आपको बेहतर तरीके से सांस लेने में मदद मिल सकती है? एक्सपर्ट्स कहते हैं कि आपकी प्लेट के फूड्स आपके फेफड़ों के स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव डालते हैं और फेफड़ों के टिश्यू के काम की क्षमता से लेकर रेसपिरेटोरी इन्फेक्शन से लड़ने के लिए आपके शरीर की इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने या कमज़ोर करने में भूमिका निभाते हैं। नई दिल्ली के इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (ISIC) के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग  के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अंकुर जैन कहते हैं, “फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और रेसपिरेटोरी संबंधी समस्याओं को कम करने में बैलेंस डायट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।” 

आपके फेफड़े और आपकी डायट: दोनों कैसे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं? 

हैदराबाद के तेलंगाना के यशोदा हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गोपी कृष्ण येदलापति कहते हैं, “अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़ (COPD) और फेफड़ों के कैंसर जैसी फेफड़ों की पुरानी समस्याओं से जूझने के लिए व्यक्ति की डायट महत्वपूर्ण होती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़िम्मेदार कारकों में आपकी डायट लगभग एक-तिहाई रूप से असरदार होती है। इसलिए, इन्फेक्शन को रोकने के मामले में बैलेंस डायट ज़रूरी है।” 

विटामिन (A, C और E), मिनरल (मैग्नीशियम और सेलेनियम) और एंटीऑक्सिडेंट जैसे ज़रूरी न्यूट्रिशन का पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से फेफड़ों के टिश्यू को स्वस्थ बनाए रखने और प्रदूषण और अन्य नुकसानदायक पदार्थों के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव नुकसान से बचने में मदद मिल सकती है।  

डॉ. जैन बताते हैं, “फल, सब्जियां, साबुत अनाज और हेल्दी फैट जैसे कुछ फूड्स में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन्हें अपने डायट में शामिल करके, आप क्रोनिक सूजन को कम करने में मदद पा सकते हैं, जो फेफड़ों की विभिन्न बीमारियों से जुड़ी होती है।” 

बेंगलुरु के सकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सचिन कुमार का कहना है कि फेफड़ों से संबंधित बीमारियों और इन्फेक्शन, जैसे टीबी, लंग अब्सेस या लॉन्ग टर्म  पल्मोनरी डिज़ीज़ वाले लोगों को लो कार्बोहाइड्रेट, हाई प्रोटीन डायट का सेवन करना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनमें प्रोटीन की कमी हो सकती है। सोयाबीन, अंकुरित अनाज आदि भी डायट में शामिल करना अच्छा होता है।” 

इसके अलावा, खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ऑयल भी फेफड़ों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है।  डॉ. येदलापति कहते हैं, “हम पैडी हस्क, या ऑलिव या पाम ऑयल की सलाह देते हैं। इनमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और इन्हें फायदेमंद भी माना जाता है।” 

फेफड़ों के लिए हेल्दी फूड्स: अस्थमा और सीओपीडी जैसे फेफड़ों से संबंधित बीमारियों वाले लोगों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए 

 

टीबी के लिए डायट 

डॉ. येदलापति बताते हैं कि टीबी और फंगल इन्फेक्शन जैसी सांसों से संबंधित बीमारियों के लिए लोगों को फिश, चिकन और लीन मीट सहित हाई प्रोटीन डायट की सलाह दी जाती है। इन लोगों को प्रोसेस्ड मीट से बचना चाहिए। हम अंडे भी शामिल करने के लिए कहते हैं, क्योंकि अंडे में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड की भरपूर मात्रा होती है।” 

 

अस्थमा के लिए डायट 

डॉ. येदलापति बताते हैं कि कुछ फूड्स अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं। हम लोगों को अपने डायट में चुकंदर और सेब शामिल करने के लिए कहते हैं। इसके साथ ही लोगों को जब संभव हो, तो अपने फूड्स में अंडे और मछली को भी शामिल करना चाहिए। फेफड़ों को स्वस्थ बनाने के लिए ड्राई फ्रूट्स भी खा सकते हैं। 

डॉ. येदलापति यह भी कहते हैं कि अस्थमा से पीड़ित लोगों को केला, अनानास, कस्टर्ड एप्पल और नींबू जैसे फलों से बचना चाहिए। ये फूड्स, विशेष रूप से केले में हिस्टडीन युक्त कुछ प्रोटीन होते हैं, जो अधिक बलगम और कफ पैदा कर सकते हैं। उन्हें चॉकलेट, खासकर ब्राउन चॉकलेट से परहेज करना चाहिए। 

अमेरिकन लंग फाउंडेशन भी बादाम, रॉ सीड्स, स्विस चार्ड, सरसों का साग, केल, ब्रोकोली और हेज़लनट्स जैसे विटामिन से भरपूर फूड्स खाने की सलाह देता है। इस तरह के फूड्स में टोकोफेरॉल होता है, जो खांसी या घरघराहट जैसे अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए उपयुक्त है। 

 

COPD के लिए डायट 

डॉ. येदलापति के अनुसार, “COPD वाले लोगों को एंटीऑक्सिडेंट और प्रोटीन से भरपूर डायट का सेवन करना चाहिए। COPD वाले लोगों के डायट में अंडे, मछली और लीन मीट के साथ टमाटर, कद्दू और चुकंदर को शामिल किया जा सकता है, जबकि प्रोसेस्ड मीट से बचना चाहिए। इन व्यक्तियों को चाय या कॉफी, अधिकांशतः ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए।” 

 

फेफड़ों के कैंसर के लिए डायट 

डॉ. येदलापति बताते हैं, “जब फेफड़ों के कैंसर की बात आती है तो डायट को लेकर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। हम फेफड़ों के कैंसर वाले लोगों को तम्बाकू, शराब और फ्राइड और नमकीन फूड्स से बचने और खजूर जैसे ड्राई फूड्स को अधिक खाने की सलाह देते हैं। ये एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के कारण बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं।” 

इसके अलावा, JAMA ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित 2019 के एक रिसर्च में पाया गया है कि डायटरी फाइबर और दही का अधिक सेवन करने से फेफड़ों के कैंसर का जोखिम कम होता है।  

डॉ. येदलापति का कहना है कि बहुत से लोग मानते हैं कि दही या योगर्ट बलगम को बढ़ा सकता है, लेकिन यह सच नहीं है। आपको केवल यह सुनिश्चित करना होगा कि आप जो दही खा रहे हैं, वह ठंडा न हो। इसमें मिनरल, जैसे पोटेशियम और कैल्शियम की अधिक मात्रा होती है, जो फेफड़ों की बीमारियों वाले लोगों के लिए फायदेमंद होती है। 

 

फेफड़ों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए इन फूड्स से बचें 

डॉ. जैन के अनुसार, फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए कुछ फूड्स से बचना चाहिए या कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।  प्रोसेस्ड और ऑयल फूड्स: इनमें स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले ट्रांस फैट के साथ सोडियम का हाई लेवल होता है, जो सूजन का कारण बन सकते हैं। बहुत अधिक नमक का सेवन करने से फ्लूएड रीटेंशन और ब्लड प्रेशर में वृद्धि हो सकती है और इससे फेफड़ों का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। 

 

अतिरिक्त शुगर वाले ड्रिंक्स: सोडा, कुछ एनर्जी ड्रिंक्स आदि सांसों से संबंधित समस्याओं के जोखिम को बढ़ाते हैं। इसलिए, इनसे बचना ही बेहतर है। 

 

फुल फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट: डॉ. जैन कहते हैं कि ऐसे फूड्स सांसों से संबंधित समस्याओं में वृद्धि करते हैं और फेफड़ों के काम करने की क्षमता में कमी लाते हैं। लोगों को इसके बजाय कम फैट वाले या नॉन-फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करना चाहिए। 

 

जिन फूड्स से आपको एलर्जी है: फूड्स से होने वाली एलर्जी से सांसों से संबंधित समस्याएं बढ़ने की संभावना रहती है और यह किसी के भी फेफड़े की समस्याओं को बढ़ा सकती है। उन फूड्स की पहचान करें, जिनसे आपको एलर्जी है और उन्हें अपने डायट से शामिल न करें। 

 

व्यायाम करने से फेफड़ों के स्वास्थ्य में कैसे सुधार होता है?

नारायण हेल्थ, बेंगलुरु के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. मंजूनाथ पी एच कहते हैं, “नियमित व्यायाम से मांसपेशियों को बेहतर ऑक्सीजन मिलता है, जिससे मांसपेशियों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इससे फेफड़ों को बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त होता है।” 

सुबह व्यायाम करना क्यों फायदेमंद है?

असम के 66 वर्षीय सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी उदय चंद्र बर्मन की सुबह की एक निश्चित दिनचर्या है: इसमें शामिल है पार्क में साइकिल चलाना जिसमें लगभग 20 मिनट लगते हैं, 20 मिनट तक तेज़ चलना और स्ट्रेचिंग व्यायाम करना। घर पर वह लगभग 40 मिनट तक प्राणायाम के पांच गहरी सांस लेने के व्यायाम करते हैं। उनका कहना है कि वह भस्त्रिका (तेजी से सांस लेना और छोड़ना), अनुलोम विलोम (वैकल्पिक नासिका छिद्र से सांस लेना), भ्रामरी (गुनगुनाते हुए मधुमक्खी से सांस लेना) और कपालभाति जैसी प्राणायाम की तकनीकों का सावधानीपूर्वक पालन करते हैं।

बर्मन कहते हैं, “सुबह व्यायाम के बाद, मैं दिन भर तरोताज़ा महसूस करता हूं। अगर मैं इस दिनचर्या का पालन नहीं करता हूं तो मुझे काफी सुस्ती महसूस होती है।” 

डॉ. मंजूनाथ कहते हैं, शाम की तुलना में सुबह व्यायाम करना बेहतर होता है क्योंकि इस समय हवा की गुणवत्ता बेहतर होती है। 

उन्होंने आगे कहा, “शहरों में वायु प्रदूषण ज़्यादातर वाहनों की आवाजाही के कारण होता है जो दिन चढ़ने के साथ-साथ बदतर होता जाता है।” 

 

संक्षिप्त विवरण 

आपकी डायट से फेफड़ों के स्वास्थ्य सीधा जुड़े हुए हैं। हेल्दी डायट न केवल आपके शरीर को रेसपिरेटोरी इन्फेक्शन से लड़ने और अस्थमा और COPD जैसी फेफड़ों की बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद करती है, बल्कि क्रोनिक सूजन को भी कम कर सकती है और आपके लिए सांस लेना आसान बना सकती है। 

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