0

0

0

0

0

0

इस आलेख में

स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से बच्चों में विकास दर हो रहा है कम
32

स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से बच्चों में विकास दर हो रहा है कम

रिसर्च के अनुसार 1 साल की उम्र में रोज़ 4 घंटे से अधिक स्क्रीन पर समय बिताने वाले बच्चों में 2 साल की उम्र तक कम्युनिकेशन स्किल कम विकसित होने की संभावना 4.78 गुना अधिक होती है।

रिसर्च के अनुसार 1 साल की उम्र में रोज़ 4 घंटे से अधिक स्क्रीन पर समय बिताने वाले बच्चों में 2 साल की उम्र तक कम्युनिकेशन स्किल कम विकसित होने की संभावना 4.78 गुना अधिक होती है।

माता-पिता के रूप में अपने बच्चे को टेलीविजन स्क्रीन के सामने खड़ा कर देना या शांत करने के लिए बच्चों को वीडियो देखने के लिए स्मार्टफोन थमा देना आपको थोड़ी राहत ज़रूर पहुंचाता है, लेकिन नए रिसर्च से यह पता चला है कि यह बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

जापान में 7,097 बच्चों पर किए गए नए रिसर्च में यह पता चला है कि छोटे बच्चों द्वारा स्क्रीन पर अधिक समय बिताने पर कम्युनिकेशन स्किल और समस्या के समाधान करने की क्षमता बढ़ने में देरी हो सकती है। यह रिसर्च सोमवार को  JAMA पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुआ है।

 

स्क्रीन टाइम आपके बच्चे के विकास को कैसे प्रभावित करता है?

रिसर्च में विशेष रूप से यह पाया गया है कि 1 वर्ष की आयु में रोज़ चार घंटे से अधिक समय स्क्रीन पर बिताने वाले दो और चार वर्ष की आयु के बच्चों में कम्युनिकेशन स्किल और समस्या के समाधान करने की क्षमता देर से विकसित हुई।

यह रिसर्च जुलाई 2013 और मार्च 2017 के बीच 50 ओब्सटेट्रिक क्लिनिक्स एंड हॉस्पिटल्स में भर्ती गर्भवती महिलाओं और उनकी फैमिली के बीच तोहोकू मेडिकल मेगाबैंक प्रोजेक्ट बर्थ एंड थ्री-जेनरेशन कोहोर्ट रिसर्च के तहत यह रिसर्च किया गया।

रिसर्च में पाया गया कि जो बच्चे 1 साल की उम्र में रोज़ चार घंटे से अधिक समय स्क्रीन पर बिताते हैं, उनमें 2 साल की उम्र तक कम्युनिकेशन स्किल के कम विकसित होने की संभावना 4.78 गुना अधिक होती है। इसके अलावा फाइन मोटर स्किल होने की संभावना 1.74 गुना अधिक होती है। रिसर्च में यह भी पाया गया कि रोज़ चार या अधिक समय स्क्रीन पर बिताने वाले बच्चों में दो साल की उम्र के अपने साथियों की तुलना में पर्सनल और सोशल स्किल खराब होने की संभावना अधिक थी।

एकेडमीज़  गाइडलाइन्स ऑन स्क्रीन टाइम एंड डिजिटल वेलनेस इन इन्फेंट्स, चिल्ड्रन एंड एडोलेसेन्ट्स’ के चीफ ऑर्थर्स में से एक और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. पीयूष गुप्ता ने कहा, “ 0-2 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम शून्य होना चाहिए। कई रिसर्चों से पता चलता है कि स्क्रीनटाइम का उन बच्चों पर खराब प्रभाव पड़ता है, जो जीवन के शुरुआती दिनों में स्क्रीन पर अधिक समय (रोज़ एक घंटे से अधिक) बिताते हैं। 2 से 4 साल की उम्र के बच्चे द्वारा स्क्रीन का उपयोग करने से दिमाग, शारीरिक विकास और दैनिक प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।”

डॉ. गुप्ता का कहना है, “इसका उनकी मानसिक बनावट, उनके मेलजोल और अन्य लोगों के साथ बातचीत पर भी खराब प्रभाव पड़ता है।”

 

बच्चों का ध्यान भटकाने के लिए स्क्रीन का उपयोग न करें: एक्सपर्ट

डॉ. गुप्ता का कहना है कि बच्चों के कम उम्र में स्क्रिन पर अधिक समय बिताने के पीछे सबसे मुख्य कारकों में से एक कारक यह है कि माता-पिता को ऐसा लगता है कि स्क्रीन पर रहने से बच्चे का ध्यान भटकता है, वे शांत रहते हैं और व्यस्त रहते हैं, जबकि यह माता-पिता की गलतफहमी है।

उन्होंने कहा, “पहले के समय में माता-पिता ऐक्टिव रूप से बच्चे के साथ खेला करते थे या उन्हें पढ़ाया करते थे। अपने साथ रोज़ किराने की दुकान आदि पर ले जाया करते थे, लेकिन आज के समय में छोटे बच्चों को भी स्क्रीन के सामने खड़ा कर देते हैं।”

 

माता-पिता स्क्रीन टाइम सीमित करने के लिए क्या कर सकते हैं?

डॉ. गुप्ता का कहना है, “स्क्रीन टाइम को सीमित करने के लिए माता-पिता को बच्चों के साथ अलग-अलग ऐक्टिविटीज़ में ऐक्टिव रूप से शामिल होना चाहिए। बच्चे के साथ ऐक्टिव तरीके से जुड़ें, उनके साथ समय बिताएं, उन्हें पढ़ने जैसी ऐक्टिविटीज़ से जोड़ें या फैमिली टाइम बिताने के लिए पार्क में ले जाएं।”

बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ और न्यूरोसाइंसेज़ के सर्विस फॉर हेल्दी यूज ऑफ टेक्नोलॉजी (SHUT) क्लिनिक में एडिशनल प्रोफेसर और कंसल्टेंट डॉ. नितिन आनंद का कहना है, “गैजेट के उपयोग को सीमित करने की बात न केवल बच्चों पर, बल्कि माता-पिता पर भी लागू होती है। माता-पिता को स्वयं सीखना चाहिए कि टेक्नोलॉजी के समय को कैसे सीमित किया जाए और फिर अपने बच्चों को भी यही सिखाना चाहिए।

डॉ. आनंद ने कहा, “छोटे बच्चों को स्क्रीन से दूर रखने के लिए, उन्हें वास्तविक जीवन में दोस्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे बच्चों को  ऑनलाइन दुनिया से दूर रखा जा सकता है। ऑफलाइन ऐक्टिविटीज़ में वृद्धि होने से बच्चों को पारस्परिक स्किल, समस्या के समाधान की क्षमता और वाकपटुता सीखने में मदद मिलती है। उनमें वास्तविक वातावरण में खुशी, एक-दूससे से नज़दीकी और ग्रुप से जुड़ने की भावना भी पैदा होती है। इससे उनका स्क्रीन पर उपयोग का समय सीमित करने में मदद मिलेगी, क्योंकि ये चीज़ नहीं मिलने पर ही वे स्क्रीन द्वारा इनको पूरा करना चाहते हैं।

 

संक्षिप्त विवरण

  • एक नए रिसर्च में पाया गया है कि 1 साल की उम्र में अधिक समय स्क्रीन पर बिताने पर दो और चार साल की उम्र के बच्चों में कम्युनिकेशन और समस्या के समाधान की क्षमताओं विकसित होने में देरी होती है।
  • 0-2 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को स्क्रीन पर बिल्कुल भी समय हीं बिताना चाहिए।
  • बच्चे का वास्तविक दुनिया के लोगों से जोड़ों और स्क्रीन से दूर रखने के लिए वास्तविक जीवन में दोस्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करें।

 

 

अपना अनुभव/टिप्पणियां साझा करें

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

5 × 4 =

प्रचलित

लेख

लेख
चूंकि शोल्डर इम्पिंगमेंट सिंड्रोम रिवर्सिबल है, यह सलाह दी जाती है कि जैसे ही दर्द के शुरुआती लक्षण दिखाई दें, आप डॉक्टर से मिलें
लेख
लेख

0

0

0

0

0

0

Opt-in To Our Daily Newsletter

* Please check your Spam folder for the Opt-in confirmation mail

Opt-in To Our
Daily Newsletter

We use cookies to customize your user experience, view our policy here

आपकी प्रतिक्रिया सफलतापूर्वक सबमिट कर दी गई है।

हैप्पीएस्ट हेल्थ की टीम जल्द से जल्द आप तक पहुंचेगी