एक्सपर्ट्स का कहना है, “नींद के पैटर्न में सुधार करने से मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद मिल सकती है और ऐसा नहीं होने पर मानसिक स्वस्थ संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। नाइक का कहना है, “कॉम्पिटिटिव पब्लिक एग्जाम में सफल होने का दबाव, नौकरी की खोज और फैमिली में दुख के कारण हैदराबाद की 25 वर्षीय डेटा एनालिसिस रचिता नाइक (बदला हुआ नाम) को घबराहट होने लगी। उन्हें एंग्जायटी और डिप्रेशन के हल्के लक्षण से ग्रस्त होने का पता चला। उनके लिए 2019 स्ट्रेसफुल वर्ष रहा। वह रात एक बजे जाग जाती थीं और दोबारा सो नहीं पाती थीं। उन्हें रोज़ थकावट और हताशा महसूस होती थी, साथ ही हाइपरसोम्निया की समस्या भी होने लगी थी।”
उसने अपनी एकाग्रता को बेहतर करने के लिए मेडिटेशन किया, लेकिन उससे कोई लाभ नहीं मिला। वह इंटीग्रेटेड मेडिसिन स्पेशलिस्ट के पास गईं। वह कहती हैं, “डॉक्टर की दवा का असर होने में समय लगा। मेरे मन में कई बार दवा छोड़ने का विचार भी आया, लेकिन मैं दवा लेती रही और डॉक्टर की सलाह का पालन करती रही। अब मैं काफी बेहतर महसूस कर रही हूं।”
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है और नींद की कमी से समस्या और खराब हो जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य और नींद में संबंध
दोनों एक दूसरे से सीधे जुड़े होने से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को कम या बहुत अधिक नींद आने की समस्या हो सकती है। मानसिक बीमारी से नींद संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और ठीक इसी तरह नींद की समस्या से मानसिक बीमारी भी हो सकती हैं। बेंगलुरु निवासी साइकिएट्री के सीनियर प्रोफेसर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज़ (NIMHANS) के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर बीएन गंगाधर का कहना है, “डिप्रेशन, एंग्जायटी, साइकोसिस, शराब और अन्य नशा छोड़ने जैसी कई घटनाओं के कारण नींद की समस्या होना मुख्य लक्षणों में से एक है।“
बेंगलुरु के कैडाबम हॉस्पिटल के कंसल्टेंट साइकिएट्रिस्ट डॉक्टर आर प्रिया राघवन का कहना है, “कभी–कभी, पर्याप्त नींद न लेना ही बीमारियों का कारण बन जाता है। अगर बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त किसी व्यक्ति को नींद की समस्या होने लगती है, तो इससे कभी–कभी मैनिया की समस्या हो सकती है। इसी तरह, पर्याप्त आराम न करने से भी लोगों को फिर से शराब या नशीली दवाओं के सेवन की लत लग सकती है।”
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से नींद के पैटर्न में गड़बड़ी
कोलकाता के एमपावर की हेड और साइकिएट्रिस्ट डॉक्टर प्रीति पारख ने विभिन्न समस्याओं और उनके कारण होने वाली बीमारी के प्रकार के बारे में कहा, “नींद की समस्याएं मानसिक स्वास्थ्य समस्या के प्रकार के अनुसार भिन्न–भिन्न होती हैं।“
एंग्जायटी: एंग्जायटी से ग्रस्त व्यक्तियों को नींद आने में कठिनाई (नींद आने में देरी) हो सकती है। झपकी लेते समय अक्सर उनके मन में एंग्जायटी वाले विचार और अन्य स्ट्रेसपूर्ण बातें आ सकती हैं, जो उन्हें अधिक समय तक जगाए रख सकते हैं।
डिप्रेशन: इस डिसऑर्डर में नींद की कमी और हाइपरसोमनिया (बहुत अधिक नींद), दोनों देखी जाती हैं। कुछ लोगों को सुबह–सुबह 3-4 बजे उठने पर इनसोमेनिया का अनुभव होता है और फिर से सोने में मुश्किल होने लगती है। अन्य लक्षणों में रात को सोने में मुश्किल होती है और बार–बार जागना पड़ता है। दूसरी ओर, कुछ लोग बहुत अधिक सोने लगते हैं, बहुत सुस्ती महसूस करते हैं और अधिकांश समय बिस्तर पर पड़े रहते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर: इस डिसऑर्डर में मैनिया और डिप्रेशन, दोनों के लक्षण दिखते हैं। मैनिया में, लोगों की एनर्जी तो अधिक होती है, लेकिन वे कम सोते हैं। वे डिप्रेशन के लक्षण की तरह जल्दी उठ जाते हैं और अपनी नियमित दिनचर्या शुरू कर देते हैं। डिप्रेशन के दौरान, उन्हें झपकी लेने या अधिक सोने में परेशानी हो सकती है।
अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD): यह बच्चों में अधिक होता है, लेकिन वयस्कों में भी ADHD की समस्या बढ़ती जा रही है। इसमें लोगों को रात में सोना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि उनका मन भटकता है, जिससे सही से नींद नहीं आती है।
क्या अपर्याप्त नींद मानसिक बीमारियों का कारण बन रही है?
डॉक्टर पारख का कहना है, “रिसर्च से पता चलता है कि लंबे समय तक नींद की समस्या डिप्रेशन और एंग्जायटी का कारण बन सकती है। अपर्याप्त नींद के कारण अगले दिन व्यक्ति स्वस्थ महसूस नहीं करता है। उन्हें ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है, बार–बार सिरदर्द का अनुभव हो सकता है या थकान महसूस हो सकती है। समय के साथ काम करने की क्षमता में कमी हो जाती है और वे चिंतित रहने लगते हैं।”
जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर में प्रकाशित एक रिव्यू लेटर के अनुसार इनसोमेनिया से पीड़ित बिना–डिप्रेशन वाले लोगों में, डिप्रेशन होने का जोखिम उन लोगों की तुलना में दोगुना होता है, जिन्हें ऐसी कोई समस्या नहीं है।
डॉक्टर गंगाधर सावधान करते हुए कहते हैं, “लंबे समय तक पर्याप्त नींद न मिलने से लोगों में साइकिएट्रिक से संबंधित लक्षण हो सकते हैं। वे तुरंत उत्तेजित हो सकते हैं। इसके अलावा, ध्यान केंद्रित करने का समय कम हो सकता है, निर्णय लेने में मुश्किल हो सकती है और भावनात्मक ज्ञान की कमी हो सकती है। इनको शराब या नशीली दवाओं की लत लग सकती है, साथ ही घर के अंदर और बाहर गुस्से के शिकार हो सकते हैं। स्वस्थ व्यक्तियों में, जिन्होंने पहले मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव किया होगा, अगर उन्हें नींद में गड़बड़ी का अनुभव होने लगे, तो दोबारा समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है।”
बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए नींद को सुधारारने के तरीके
हाल के रिसर्च से पता चलता है कि नींद व्यवहार को व्यवस्थित रखकर एक प्रकार से मानसिक बीमारियों का इलाज करने का काम करती है और पर्याप्त नींद से महत्वपूर्ण रूप से मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है। रिसर्च में पाया गया कि समस्या की गंभीरता (यानी, क्लिनिकल या नॉन–क्लिनिकल) चाहे कैसी भी हो, नींद में सुधार करने से बेहतर मानसिक स्वास्थ्य देखी गई। हालांकि, यह ध्यान रखें कि केवल इन लक्षणों का इलाज करने से ही इससे जुड़ी समस्या ठीक नहीं होती है।
आपकी सहायता के लिए यहां एक्सपर्ट के कुछ सुझाव दिए गए हैं:
संक्षिप्त विवरण
- मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को नींद की समस्या होना आम बात है। कुछ लोगों को पर्याप्त नींद लेने में मुश्किल हो सकती है, जबकि कुछ लोगों को बहुत अधिक नींद आ सकती है।
- हाल के रिसर्च से पता चलता है कि पर्याप्त नींद न लेने से मानसिक बीमारियों के विकसित होने का जोखिम भी बढ़ सकता है।
- एक्सपर्ट समस्या के असली कारण को जानने और इसे ठीक करने के लिए पर्याप्त नींद लेने की सलाह देते हैं।