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बच्चों में पीठ दर्द: माता-पिता कैसे अपने बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं​
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बच्चों में पीठ दर्द: माता-पिता कैसे अपने बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं​

बच्चों में पीठ दर्द

पोस्चरल समस्याओं और डिस्क हर्निएशन जैसी बीमारी की रोकथाम के लिए बच्चों के पीठ दर्द का जल्द से जल्द इलाज करना चाहिए

कुछ व्यक्ति को ऐसा लग सकता है कि पीठ दर्द की समस्या केवल बड़े लोगों को ही होती है, लेकिन अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं, तो गलत सोच रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों में पीठ दर्द की समस्या बढ़ती जा रही है। इसके कारण की लोगों को जानकारी भी है, लेकिन फिर भी अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। हैवी बैकपैक या स्कूल बैग लंबे समय से बच्चों में पीठ दर्द की समस्या के संभावित कारण माने जाते हैं, जिसके लिए स्कूलों को बैग का वज़न कम करने की सलाह भी दी जाती है। इसके अलावा, आजकल सुस्त लाइफस्टाइल से भी बच्चों में पीठ दर्द की समस्या बढ़ती जा रही है। इसलिए, मातापिता को इस समम्या को समझना और इसके लिए उपाय करना ज़रूरी है। 

बच्चों में पीठ दर्द के सामान्य कारण 

बेंगलुरु के डीएचईई हॉस्पिटल के सीनियर पीडियाट्रिशन और इन्टेंसिविस्ट डॉ. सुप्रजा चंद्रशेकर के अनुसार, “बच्चों में पीठ दर्द के सभी मामलों में से 20 प्रतिशत स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने या अन्य दर्द के कारण हो सकते हैं, जबकि शेष 80 प्रतिशत सुस्त लाइफस्टाइल और खराब पोस्चर के कारण होते हैं। 

डॉ. चन्द्रशेखर का कहना है, ”एक पीडियाट्रिशन के रूप में, जब कोई बच्चा मेरे पास पीठ दर्द की शिकायत करता है, तो मैं सतर्क हो जाती हूं। आमतौर पर खराब पोस्चर और सुस्त लाइफस्टाइल के कारण किशोरों और बड़े बच्चों में दर्द की समस्या होती है। जबकि छोटे बच्चों में, दर्द स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने या इलाज किए जाने के कारण हो सकती है। इसका पता लगाने की ज़रूरत है। हालांकि, दर्द अन्य कारणों से भी हो सकता है [दर्द पीठ में हो रहा हो, लेकिन असली समस्या कुछ और हो]।” 

इसके अलावा, पीठ दर्द पेशाब या आंतों की समस्या के कारण भी हो सकता है, क्योंकि स्पाइनल कॉर्ड नर्व सिग्नल को भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनसे इनके काम नियंत्रित होते हैं। 

लाइफस्टाइल और पीठ दर्द 

सुस्त लाइफस्टाइल कोर की कमज़ोरी और पीठ की मांसपेशियों, गतिशीलता में कमी, साथ ही बिना ऐक्टिविटी के लंबे समय तक बैठे रहने के कारण, स्पाइनल कॉर्ड की डिस्क और जॉइंट पर पड़ने वाले दबाव में वृद्धि के कारण पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। 

बेंगलुरु के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट और आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. पवन चेब्बी का कहना है, “आज के समय में बच्चे पहले की तरह बहुत ऐक्टिव नहीं रहते हैं। वे कोई भी फिज़िकल ऐक्टिविटी सीमित रूप में करते हैं। उदाहरण के लिए, उनका डांस या मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग हर सप्ताह कुछ घंटों तक ही सीमित होता है। मुझे कई ऐसे बच्चे मिले हैं, जो बड़े लोगों को होने वाली सायटिका और हिप की बीमारी से ग्रस्त थे। जो बच्चे डांस में रुचि रखते हैं, वे कम समय में बहुत अधिक प्रैक्टिस करते हैं और फिर जब वे इसे समाप्त होने के बाद अपने सामान्य जीवन में आते हैं, तो उनकी ऐक्टिविटीज़ सीमित हो जाती हैं। इसके अलावा, लंबे समय तक बैठने के दौरान गलत पोस्चर और गलत बॉडी मैकेनिक्स भी पीठ दर्द को बढ़ा सकती है। 

चूंकि बच्चों के शरीर में बड़े लोगों की तुलना में अधिक लचीलापन होता है, इसलिए वे अपनी इच्छानुसार किसी भी स्थिति में लंबे समय तक बैठ सकते हैं। स्क्रीन के सामने लंबे समय तक रहने और अपना ख्याल रखने या पोस्चर बदलने की बच्चों की यही आदत उन पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकता है। 

विटामिनकी कमी और पीठ दर्द 

हड्डियों और मांसपेशियों की मज़बूती के लिए विटामिन D ज़रूरी है और इसकी कमी से हड्डियां कमज़ोर हो सकती है और रीढ़ की हड्डी में तनाव और नुकसान की संभावना बढ़ सकती है। 

डॉ. चेब्बी का कहना है, “मैंने देखा है कि आर्थोपेडिक समस्याओं के लिए मुझसे सलाह लेने वाले कम से कम 60 प्रतिशत बच्चों में विटामिनकी कमी होती है। 

पहले, बच्चे से बाहर खेलते थे, जिससे पर्याप्त मात्रा में विटामिन D की पूर्ति हो जाती थी। आजकल, वे घर के अंदर अधिक समय बिताते हैं, जिससे विटामिन D की कमी हो सकती है और उनकी मांसपेशियां और हड्डियां कमज़ोर हो सकती हैं। 

बच्चों में पीठ दर्द: मातापिता कैसे मदद कर सकते हैं 

बच्चों में पीठ की समस्याओं को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें कम उम्र में ही पोस्चर संबंधी समस्याएं या स्लिप्ड डिस्क की परेशानी हो सकती है। अगर आपके बच्चे को लगातार पीठ दर्द हो रहा है, तो दर्द का कारण जानने के लिए किसी एक्सपर्ट से सलाह लेना और टेस्ट कराना बेहतर है। इसके अलावा,हम सभी को ऐक्टिव लाइफस्टाइल अपनाकर इसके लाभ लेने चाहिए। 

डॉ. चन्द्रशेखर का कहना है, “लोग अपनी लाइफस्टाइल में छोटेमोटे बदलाव कर सकते हैं और इसे अपने सामान्य जीवन में नियमित रूप से शामिल कर सकते हैं, जिससे बच्चों के साथसाथ बड़ों को भी फायदा हो सकता है। पैदल चलना, लिफ्ट के बजाय सीढ़ियां चढ़ना और घर से बाहर खेलने जैसी आदतों से बच्चों में ऐक्टिव लाइफस्टाइल अपनाने की आदत बढ़ेगी। 

डॉ. चेब्बी का कहना है, “पीठ दर्द से बचाव के लिए सही पोस्टर बनाए रखना उतना ही ज़रूरी है जितना ऐक्टिव रहना ज़रूरी है। अपने बच्चे के पोस्चर को नियमित रूप से सही करने के अलावा, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपके घर का माहौल बच्चों के उपयोग के लिए एर्गोनॉमिक रूप से व्यवस्थित हो। उदाहरण के लिए, अपना होमवर्क पूरा करने या कंप्यूटर का उपयोग करने के लिए बेड या सोफे पर लेटने के बजाय, बच्चों के लिए टेबल और कुर्सी पर बैठने की व्यवस्था करें।” 

इसके अलावा, लंबे समय तक बैठे रहने के दौरान बारबार ब्रेक लेना भी ज़रूरी है। बच्चों को एक घंटे तक लगातार बैठने के बाद कम से कम 15-20 मिनट का ब्रेक लेना चाहिए। 

​संक्षिप्त विवरण​ 

  • किशोरों और बड़े बच्चों में पीठ दर्द अक्सर सुस्त लाइफस्टाइल और पोस्चर संबंधी समस्याओं के कारण होता है, जबकि छोटे बच्चों में यह स्पाइनल कॉर्ड में किसी चोट या अन्य दर्द के कारण हो सकता है। 
  • बच्चों में पीठ की समस्याओं को अनदेखा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें कम उम्र में ही पोस्चर संबंधी बीमारी या स्लिप्ड डिस्क की बीमारी हो सकती है। 
  • चलने, सीढ़ियां चढ़ने और बाहर खेलने जैसी आदतें अपनाने से बच्चों में ऐक्टिव लाइफस्टाइल अपनाने की आदत बनेगी और पीठ दर्द से बचाव होगा। 

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