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Obesity And Breathlessness: मोटापा और सांस फूलने की समस्या एक-दूसरे से हैं जुड़े
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Obesity And Breathlessness: मोटापा और सांस फूलने की समस्या एक-दूसरे से हैं जुड़े

आपके हार्ट की परत पर एक्सट्रा फैट जमा होने से रेसपिरेटोरी सिस्टम पर दबाव पड़ता है और इससे सांस लेने पर असर पड़ने लगता है। वज़न पर नियंत्रण पाने और लाइफस्टाइल में बदलाव करने से मदद मिल सकती है।

आपके हार्ट की परत पर एक्सट्रा फैट जमा होने से रेसपिरेटोरी सिस्टम पर दबाव पड़ता है और इससे सांस लेने पर असर पड़ने लगता है। वज़न पर नियंत्रण पाने और लाइफस्टाइल में बदलाव करने से मदद मिल सकती है।

आपने देखा होगा कि मोटे लोगों को अक्सर सांस फूलने की समस्या भी होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, शरीर के इस ज़्यादा वज़न से लोगों को ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (OHS) नामक बीमारी हो सकती है और इससे उनका सांस लेने का पैटर्न खराब हो सकता है। आपके हार्ट की परत में एक्सट्रा फैट जमा होने से आपके रेसपिरेटोरी सिस्टम, मुख्य रूप से फेफड़ों पर दबाव पड़ने लगता है और इससे सांस लेने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होने लगती है। इससे आपके ब्लड में कार्बन डाइऑक्साइड बन सकता है, जिसे मेडिकल क्षेत्र में पिकविकियन सिंड्रोम कहते हैं। यह चार्ल्स डिकेंस के द पिकविक पेपर्स के जो की याद दिलाता है, जिनको OHS वाले लोगों द्वारा अनुभव किए जाने वाले सामान्य लक्षण दिखाते हैं, जिसमें गंभीर मोटापा और अत्यधिक नींद आना शामिल है।

नारायण हेल्थ सिटी स्थित मजूमदार शॉ मेडिकल सेंटर के पल्मोनोलॉजी विभाग के इंटरनल मेडिसिन के कंसल्टेंट डॉ. रवि चंद्रा एमआरके का कहना है, “ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम को तीन चरणों के रूप में परिभाषित किया गया है – मोटापा (हार्ट की परतों में अत्यधिक फैट जमा होना), हाइपरकेनिया (अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड) ब्लड) और स्लिप-डिसऑर्डर युक्त ब्रीथिंग।”

डॉ. चंद्रा का कहना है, “ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम फेफड़ों से संबंधित बीमारी नहीं है। यह एक सिस्टेमिक डिसॉर्डर है, जिसका मुख्य कारण मोटापा है। इस समस्या से फेफड़े और शरीर के अन्य अंग प्रभावित हो जाते हैं।”

 

ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम क्या है?

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. गिरिधर अदापा का कहना है, “शरीर का वज़न ज़्यादा बढ़ जाने के कारण हार्ट की परत पर दबाव पड़ने लगता है और इससे  ही ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम की समस्या होती है। इससे मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए सामान्य तरीके से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। पिकविकियन सिंड्रोम में, व्यक्ति हाइपरकेपनिया की समस्या से ग्रस्त हो जाता है।”

 

ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम का क्या कारण है?

डॉ. चंद्रा का कहना है कि मोटापे के कारण हार्ट की परत पर फैट जमा हो जाती है। इससे हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है और सांस लेते समय उसकी पर्याप्त रूप से फैलने की क्षमता कम हो जाती है।”

जब फैट के जमा होने के कारण हार्ट की परत भारी हो जाती है, तो इससे हाइपोवेंटिलेशन की समस्या हो जाती है। इसके कारण, जब लोग सांस लेने की कोशिश करते हैं, तो हार्ट की परत हवा को प्रभावी ढंग से मूव नहीं कर पाती है। इससे ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल बढ़ जाता है। समय के साथ, हाई कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल बढ़ने पर ब्लड अधिक एसिडिक हो जाता है।

डॉ. चंद्रा का कहना है कि ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम से वज़न बढ़ सकता है। ब्लड के अधिक एसिडिक होने पर शरीर इंसुलिन और लेप्टिन जैसे हार्मोन के प्रति रेजिस्टेंस होने लगता है। लेप्टिन का काम भूख को नियंत्रित करना है और लेप्टिन रेजिस्टेंस के मामले में, ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम वाले लोगों को कभी भी पेट भरा हुआ महसूस नहीं होता है और इससे वे अधिक खाना खाने लगते हैं।

 

पिकविकियन सिंड्रोम के लक्षण

डॉ. चंद्रा कहते हैं, “ब्लड में कार्बन डाइऑक्साइड लेवल के अधिक होने का शुरुआती लक्षण तेज़ सिरदर्द हो सकता है, खासकर सुबह के समय ऐसा होना है। नींद संबंधी समस्या वाले लोगों को सोते समय सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।”

डॉ. अदापा का कहना है कि ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम वाले लोगों का BMI लेवल आमतौर पर 30 से अधिक होता है और वेस्ट-हिप रेशियो भी अधिक होता है। पिकविकियन सिंड्रोम वाले लोगों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, अत्यधिक नींद आना, सांस लेने में तकलीफ होना और गंभीर खर्राटों सहित सामान्य लक्षण महसूस हो सकते हैं।

 

क्या OHS एक गंभीर स्थिति है?

डॉ. चंद्रा का कहना है, “ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम शरीर पर बहुत अधिक मेटाबॉलिज्म स्ट्रेस का कारण बनता है। हार्ट और ब्रेन को काम करने के लिए लगातार अधिक ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है और ऐसी स्थिति के कारण हाइपोक्सिक स्ट्रेस (कम ऑक्सीजन लेवल) की समस्या हो जाती है, जिससे हार्ट पर दबाव पड़ता है और इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।”

डॉ. अदापा कहते हैं, “OHS का इलाज नहीं करने पर पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है और इससे दाहिनी ओर हार्ट फैल्योर का जोखिम बढ़ सकता है।”

 

ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम पर नियंत्रण कैसे पाएं

डॉ. अदापा कहते हैं, “पिकविकियन सिंड्रोम के जोखिम को रोकने के लिए पहला काम वज़न को नियंत्रित करना है।”

डॉ. चंद्रा के अनुसार, “हाई BMI वाले व्यक्तियों को वज़न कम करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करना चाहिए। उन्हें एक्सरसाइज़ के लिए रूटीन बनानी चाहिए, पर्याप्त आराम के लिए सही नींद लेनी चाहिए, डायट पर नियंत्रण रखना चाहिए और हेल्दी डायट प्लान बनाने के लिए न्यूट्रिशनिस्ट से  सलाह लेनी चाहिए।”

वह आगे कहते हैं कि CPAP मशीन का उपयोग करने पर सांस लेने में सहायता मिलती है और रात में पर्याप्त ऑक्सीजन लेवल को बनाए रखने में मदद मिलती है। इसमें सोते समय नाक और मुंह पर मास्क पहना जाता है। मास्क एक CPAP मशीन से जुड़ा होता है, जो OHS वाले व्यक्तियों की सांसों लेने की प्रक्रिया की जांच करता है और शरीर में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने के लिए लगातार हवा का प्रेशर बढ़ाता रहता है। इससे बेहतर नींद में मदद मिलती है।

 

संक्षिप्त विवरण

ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम या पिकविकियन सिंड्रोम अत्यधिक वज़न और सांस संबंधी स्लीप डिसऑर्डर के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है। हालाकि, लाइफस्टाइल में बदलाव करके वज़न पर नियंत्रण पाकर जोखिम को कम किया जा सकता है।

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