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खसरा के लक्षण, उपचार और रोकथाम के बारे में जानें
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खसरा के लक्षण, उपचार और रोकथाम के बारे में जानें

खसरे से प्रभावित बच्चों का नियमित टीकाकरण नहीं हो पाता, इसलिए प्रकोप वाले क्षेत्रों में टीके की खुराक जरूरी है।

Children getting affected by measles missed their routine vaccination and zero dose of the vaccine is a must in outbreak areas

हाल ही में भारतीय राज्यों में बच्चों में खसरे के प्रकोप ने चिंता बढ़ा दी है। खसरा भारत तक सीमित नहीं, अत्यधिक संक्रामक का प्रकोप अमेरिका के ओहियो और दक्षिण अफ्रीका के कुछ प्रांतों जैसे उत्तर-पश्चिम, म्पुमलंगा, लिम्पोपो और गौतेंग में बताया गया है।

खसरा के लक्षण

डॉ. शाह ने खसरे के लक्षणों की सूची दी है जिसमें शामिल है:

बुखार

मैकुलोपापुलर दाने (चपटे दिखने वाले दाने)

खांसी

कोरिज़ा (ठंडा)

आंख आना

डॉ. शाह कहते हैं, “चकत्ते कान के पीछे से फैलने लगते हैं और धीरे-धीरे कंधे, छाती और पैर तक चले जाते हैं और इसी ही क्रम में ख़त्म हो जाते हैं।” संक्रमित बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए और इसके प्रसार से बचने के लिए उपचार के दौरान उसे अलग रखना चाहिए। ऊष्मायन अवधि (इनक्यूबेशन पीरियड) (0-14 दिन) के दौरान कोई लक्षण नहीं होगा। खसरे से प्रभावित बच्चा चकत्ते निकलने से चार दिन पहले और बाद में संक्रमित हो जाता है।

 

खसरा का उपचार और रोकथाम

डॉ. नितिन शाह, अनुभाग प्रमुख, बाल रोग, पी.डी. हिंदुजा अस्पताल, मुंबई,  का कहना है कि डॉक्टरों को दाने के साथ बुखार के मामलों की सूचना देनी चाहिए। यदि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/स्वास्थ्य पोस्ट क्षेत्र में पांच से अधिक मामले सामने आते हैं, तो आगे की जांच रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) और एंटीबॉडी टेस्ट के साथ की जाती है। “यदि 5 में से 2 मामले खसरे के लिए पॉजिटिव निकलते हैं, तो उस स्वास्थ्य पोस्ट को खसरे का प्रकोप माना जाता है।”

 

नियमित टीकाकरण में रूकावट

डॉ. शाह के मुताबिक, भारत में हर साल 2.5 करोड़ बच्चे पैदा होते हैं, जो हर हफ्ते पैदा होने वाले पांच लाख बच्चों के बराबर है। “साल 2020 में, लॉक डाउन, प्रवासन और ऐसे अन्य व्यवधानों के परिणामस्वरूप लगभग दो करोड़ बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पाया। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शाह ने कहा, ”कोविड के खिलाफ टीकाकरण प्राथमिकता बन गया और सभी स्वास्थ्य देखभाल और क्षेत्र कर्मियों ने कोविड टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित किया, जिसके परिणामस्वरूप नियमित टीकाकरण प्रभावित हुआ।” खसरा टीकाकरण सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम में खसरा और रूबेला (एमआर) टीके के अंतर्गत और निजी टीकाकरण कार्यक्रम में खसरा, कण्ठमाला और रूबेला (एमएमआर) टीके के अंतर्गत शामिल है। इसकी पहली खुराक नौवें महीने में और दूसरी सोलहवें महीने में दी जाती है।

 

खसरे का टीका किस आयु में लगता है

डॉ शाह ने बताया कि “प्रभावित क्षेत्रों में प्रकोप प्रतिक्रिया टीकाकरण (ओआरआई) के रूप में,  9 महीने से 5 साल की उम्र के बीच प्रत्येक बच्चे को अतिरिक्त खुराक के रूप में खसरे के टीके की एक खुराक दी जानी है। जैसे-जैसे वे बड़े होंगे उन्हें आयु-उपयुक्त एमआर टीकाकरण प्राप्त होता रहेगा। दोनों खुराक के बीच 28 दिनों का अंतर होना चाहिए।”

 

लेख की कुछ ज़रूरी बातें

प्रकोप वाले क्षेत्रों में खसरे के टीके की शून्य खुराक आवश्यक है। जिन क्षेत्रों में खसरे के मामले 10% से अधिक (नौ महीने से कम उम्र के बच्चों में) हैं, वहां 6-9 महीने की उम्र के बच्चों को भी एक खुराक दी जाएगी, जिसे शून्य खुराक के रूप में जाना जाता है। डॉ शाह ने कहा “जैसे-जैसे वे बड़े होंगे उन्हें आयु-उपयुक्त एमआर टीकाकरण प्राप्त होता रहेगा। दोनों खुराक के बीच 28 दिनों का अंतर होना चाहिए।” डॉक्टर ने कहा कि खसरे का टीका लेने के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है।

 

 

 

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