फैटी लीवर की गंभीर समस्या होने से तीसरे महीने की गर्भावस्था के दौरान लीवर सेल्स के भीतर अचानक फैट जम जाने से यह जानलेवा साबित हो सकता है
गर्भावस्था में एक्यूट फैटी लीवर (AFLP) एक गंभीर समस्या है, जो आमतौर पर गर्भावस्था के तीसरे महीने में होती है। हालांकि यह बहुत कम होने वाली बीमारी है, लेकिन एक्सपर्ट इसे गर्भावस्था के दौरान सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक मानते हैं।
मुंबई के नानावती मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल स्थित एडल्ट हेपैटोलोजी एंड ट्रांसप्लांट मेडिसिन सेंटर के लीवर, पैन्क्रियाज और इनटेस्टाइन ट्रांसप्लांटेशन के डीएम हेपैटोलोजिस्ट और प्रोग्राम के डाइरेक्टर डॉ. चेतन रमेश कलाल बताते हैं कि AFLP लीवर सेल्स के भीतर फैट के अचानक जमा होने की समस्या है, जिससे लीवर उचित तरीके से काम नहीं कर पाता है और फिर लीवर फैल्योर हो जाता है। इसे एक्यूट येलो एट्रोफी ऑफ द लीवर भी कहते हैं। इससे माता और भ्रूण, दोनों के जीवन का खतरा हो सकता है।
AFLP का क्या कारण है?
चेन्नई के फोर्टिज मलार के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन और एचओडी प्रोफेसर डॉ. नीलमेकम थोप्पा कपाली का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान फैटी एसिड के कारण मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्या होने के कारण यह खतरा होता है और इसके बारे में पहले से जानना मुश्किल हो सकता है। AFLP होने के कारणों की सही जानकारी का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। हाल के कुछ रिसर्च ये बताते हैं कि यह फैटी एसिड के ब्रेकडाउन के दौरान माइटोकॉन्ड्रियल समस्या के कारण हो सकता है। डॉ. कलाल बताते हैं कि फैटी एसिड के ब्रेकडाउन के लिए महत्वपूर्ण एंजाइमों में से एक के होने से अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल संतुलन भी इस समसया के होने का कारण बन सकता है।
डॉ. कलाल का कहना है, “एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन भी कम और ज़्यादा होते रहते हैं, जिससे फैट मेटाबॉलिज्म सहित अनेक मेटाबॉलिज्म प्रोसीज़र को प्रभावित कर सकते हैं। इससे फैट जमा हो सकता है और लीवर फंक्शन अचानक खराब हो सकता है।”
लीवर में सामान्य फैट की मात्रा लगभग पांच प्रतिशत होनी चाहिए, जो AFLP वाली महिलाओं में 13 से 19 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। यही अतिरिक्त फैट बनना और हेपेटोसाइट्स (लिपिड ब्रेकडाउन होने में शामिल लीवर सेल्स) से निकलने वाले अमोनिया के कारण लीवर फैल्योर की समस्या होती है।
सावधानियां
डॉ. कपाली बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान प्राकृतिक रूप में महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। ऐसे में शराब का कम सेवन करना, वज़न पर नियंत्रण रखना और हेल्दी फूड्स के साथ बैलैंस्ड डायट लेना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित रहना चाहिए और अपने आप पर नज़र रखनी चाहिए और लीवर की गंभीर समस्याओं से बचने के लिए लीवर को स्वस्थ बनाना चाहिए।
डॉ. कलाल यह भी बताते हैं कि सबसे बेहतर उपाय नियमित रूप से प्रीनेटल केयर (डिलीवरी से पहले से देखभाल) करना चाहिए। नियमित जांच कराने से डॉक्टर को माता और भ्रूण, दोनों के हेल्थ की जानकारी मिलती है। इसके अलावा, नशीली और मादक दवाओं के सेवन से बचना चाहिए। पर्याप्त आराम करना है, स्ट्रेस पर नियंत्रण पाना चाहिए, डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और समस्या का तुरंत पता लगाना भी महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है।
क्या AFLP भ्रूण या शिशु को प्रभावित करता है?
डॉ. कपाली बताते हैं, “यह तीसरी महीने की स्थिति पर निर्भर करता है और AFLP का बच्चे पर अलग–अलग प्रभाव पड़ सकता है। सातवें महीने में प्री–मैच्योर डिलीवरी के कारण नवजात शिशु में गंभीर रूप से विकास बाधित हो सकता है।”
डॉ. कलाल कहते हैं कि भ्रूण में आमतौर पर हाइपोग्लाइसीमिया (लो शुगर) की समस्या की जांच होनी चाहिए। फैटी एसिड मेटाबॉलिज्म समस्या के कारण, भ्रूण में लो शुगर और दौरे पड़ने की संभावना हो सकती है। इसलिए हमें बहुत सतर्क होने और उन पर नज़र रखने की ज़रूरत है।
गर्भावस्था में एक्यूट फैटी लीवर का इलाज
डॉ. कलाल बताते हैं कि ADLP का जल्दी पता लगाना और जल्दी इलाज कराना ज़रूरी है। समस्या के बारे में जानकारी मिलने के बाद माता और भ्रूण, दोनों पर नज़र रखनी चाहिए।
डॉ. कपाली बताते हैं, “इसका एकमात्र इलाज तत्काल डिलीवरी करना है। बच्चे के जन्म के बाद AFLP ठीक हो जाता है और माता का स्वास्थ्य ठीक हो जाता है। डिलीवरी ज़रूरी है, क्योंकि लीवर फंक्शन की समस्या से रेसपिरेटोरी और किडनी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जो माता और बच्चे, दोनों के लिए खतरा हो सकती है।”
डॉ. कलाल का कहना है, ”ज़्यादातर मामलों को पर्याप्त मेडिकल देखभाल, तुरंत इलाज और तुरंत डिलीवरी के साथ संभाला जा सकता है। कुछ मामलों में अगर गर्भावस्था में एक्यूट फैटी लीवर का पता बहुत देर से चलता है और लीवर फेल हो जाता है, तो गर्भवती महिला को लीवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत हो सकती है।”
संक्षिप्त विवरण
- गर्भावस्था के दौरान एक्यूट फैटी लीवर की समस्या बहुत कम होती है, लेकिन यह एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। यह आमतौर पर तीसरे महीने में होती है।
- इस समस्या का एक सामान्य लक्षण जॉन्डिस है। इसका पता चलने पर माता और भ्रूण, दोनों पर लगातार नज़र रखनी चाहिए।
- यह माता और बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है और तुरंत डिलीवरी करना ही एकमात्र इलाज है।
- विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखना और समस्याओं से बचने के लिए लीवर को स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण है।