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अपने भाई-बहन के देखभालकर्ता बनें, जानें इसके लिए क्या करें और क्या नहीं
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अपने भाई-बहन के देखभालकर्ता बनें, जानें इसके लिए क्या करें और क्या नहीं

 

देखभालकर्ता के रूप में भाई-बहन क्या करें और क्या न करें
देखभालकर्ता के रूप में भाई-बहन क्या करें और क्या न करें

श्वेता अग्रवाल कहती हैं, “मेरी बहन, पारुल अग्रवाल बचपन में अचानक से अनियमित मूड स्विंग, एंग्जायटी और डिप्रेशन की समस्या से ग्रस्त हो गई। बहन की एंग्जायटी और डिप्रेशन की समस्या के कारण मुझे कई बार उस पर गुस्सा भी आया। हालांकि, कुछ समय बाद, मुझे एहसास होता था कि वह हमेशा अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाती थी, इसलिए असमान्य व्यवहार करती थी। मैंने उन्हें कभी इससे उबरने या रोना बंद करने के लिए नहीं कहा। मैंने केवल उससे पूछा कि मैं उन पलों के दौरान उसकी मदद कैसे कर सकती हूं।”

उन्होंने कहा कि पारुल की उम्र अब 29 वर्ष हो चुकी है। अपनी ओर से उसने परिवार को डिप्रेशन के साथ अपने संघर्ष से परेशानी न करने की पूरी कोशिश की। मैं भी हमेशा अपनी ओर से उसे हीन भावना से बचाने की कोशिश करती रहती थी। मैं समझ सकती थी कि वह कैसा महसूस करती थी और जब वह ऐसा करती थी, तो मैं हमेशा रोती थी।”

मुंबई के नानावटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के साइक्राटिस्ट डॉ. अजीत दांडेकर कहते हैं, “जब आपका कोई भाई स्वास्थ्य संबंधी किसी बड़ी मानसिक समस्या से ग्रस्त हो, तो आपके लिए उससे संबंध तोड़ना या उन्हें अनदेखा करना आसान हो सकता है। सदमा, मानसिक बीमारी और चुनौतीपूर्ण पारिवारिक रिश्तों से होने वाले स्ट्रेस से बचने के लिए अपने परिवार के साथ संबंध तोड़ना, वास्तव में अपनाया जाने वाला एक सामान्य तरीका है। भाई-बहन की बीमारी से निपटने से होने वाले स्ट्रेस और परेशानियों के कारण पारिवारिक संबंध तोड़ना आम बात है और इससे वे आपसे दूर भी हो सकते हैं।”

 

केयरगिवर (देखभालकर्ता) भाई-बहन के लिए चुनौतियां

डॉ. दांडेकर बताते हैं, “बीमार लोग, मानसिक कामों के कारण तुरंत नाराज हो सकते हैं। इसलिए एक्सपर्ट देखभाल करने वाले भाई-बहनों को, अपने भाई-बहनों की स्थिति को देखते हुए उनके जीवन के बाकी हिस्सों से अलग तरह से देखने की सलाह देते हैं। याद रखें कि मानसिक बीमारी किसी की गलती नहीं है और यह केवल उदास महसूस करने से कहीं अधिक बड़ी समस्या होती है। आपके भाई-बहन को कैसा व्यवहार (सामाजिक मानदंडों के अनुसार) करना चाहिए, इस बारे में आपको सोचना नहीं चाहिए, बल्कि आपको उनकी स्थिति को समझना चाहिए। अगर आप अपने बीमार भाई-बहन से कुछ आशा करेंगे और वह करने की उम्मीद करेंगे, जो आप चाहते हैं, तो इससे दोनों का संबंध खराब हो सकता है और साथ ही इससे उनके लक्षण और भी बदतर बन सकते हैं।”

श्वेता कहती हैं, “जैसे-जैसे समय बीतता गया, पारुल ने अपनी अनियमित मानसिक समस्या और अपनी भावनाओं से निपटना सीख लिया। वास्तव में एक बार में सब कुछ मैनेज करना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन धीरे-धीरे समस्या ठीक हो जाती है। मैंने धैर्य रखा, क्योंकि परिवार के किसी भी सदस्य के पास मानसिक समस्याओं से जूझने का समय नहीं था।”

 

भाई-बहन को कैसे संभालें

डॉ. दांडेकर कहते हैं, “काउंसलिंग शुरू होने के बाद, कोई भी शामिल होकर उनकी मदद और सहायता कर सकता है। थेरेपी के दौरान फैमिली काउंसलिंग से संबंध को अधिक बेहतर बनाया जा सकता है। केयरगिवर इसे अपने भाई-बहन के लिए इलाज न समझकर, सोशल और रिलेशनशिल स्किल की प्रैक्टिस भी समझ सकते हैं। इससे उनका समझ भी बेहतर होती है। जब भाई-बहन का इलाज बंद हो जाए, तो उन्हें घर पर रहने के लिए एडजस्ट होने में मदद करें।”

डॉ. दांडेकर विस्तार से बताते हैं, “एक भाई-बहन के रूप में बीमार सदस्य को व्यस्त रखने के लिए आप सबसे महत्वपूर्ण कामों में से एक यह कर सकते हैं कि अपने भाई-बहन के साथ बेहतर रिश्ते बनाएं और उनसे जुड़ें। मज़बूत पारिवारिक संबंध बीमारी के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं और पीड़ित को समझदार तरीके से बीमारी को झेलने में मदद करते हैं। आप अपने भाई-बहन को दूसरों के साथ अलग-अलग तरीकों से बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। उन्हें पुराने दोस्तों के साथ फिर से जुड़ने, नौकरी खोजने, नई ऐक्टिविटीज़ को आज़माने और दूसरों से बातचीत करने के लिए बार-बार बाहर जाने में मदद करें।”

35 वर्षीय श्वेता कहती हैं, “हर किसी के लिए मेरी सलाह है कि अगर आप और आपके मानसिक बीमारी वाले भाई-बहन एक साथ घर से बाहर रहते हैं, तो बीमारी को खत्म करने की कोशिश करें और उनसे बात करते समय अपने लहजे में सावधानी रखें, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर समस्या और भी खराब हो सकती है।”

अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी रखें ख्याल

डॉ. दांडेकर बताते हैं, “मानसिक रूप से स्वस्थ होने पर ही आप अपने भाई-बहन की मदद कर पाएंगे। इस तरह की समस्या परिवार के लिए मुश्किलें लाती हैं, क्योंकि इससे हर कोई प्रभावित होता है। किसी भाई-बहन की बीमारी से पूरे परिवार को स्ट्रेस होने लगता है और ऐसा भी संभव हो सकता कि बीमार व्यक्ति को इसकी जानकारी ही न हो। ऐसे में अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें। अपने दोस्तों के साथ समय बिताएं और आवश्यकतानुसार अपने भाई-बहन से ब्रेक लेते हुए अपनी पसंद की ऐक्टिविटीज़ करें।”

डॉ. दांडेकर कहते हैं, “अगर आपको स्ट्रेस, एंग्जायटी या डिप्रेशन का अनुभव होता है, तो पर्याप्त रूप से आराम करें, घूमने जाएं और हेल्दी डायट ले। थेरेपिस्ट से सलाह लें। यह ज़रूर ध्यान रखें कि बीमार व्यक्ति भले ही न चाहे और परिवार का कोई सदस्य उनकी मदद में भले ही शामिल न हो, लेकिन फिर भी एक भाई-बहन के रूप में केयरगिवर इस समस्या से प्रभावित हो ही जाता है। इसलिए उनकी मदद करें। ट्रीटमेंट लेने और रिलेशनशिप में सहयोग करने और परिवार के अन्य सदस्यों को शामिल करने पर दोनों स्वस्थ और खुश रहेंगे।”

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