एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्ट्रोक के अधिकांश मामले एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण दिमाग में ब्लड की सप्लाई में रुकावट के कारण होते हैं। कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने से न केवल हार्ट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, बल्कि स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ सकता है। कोलेस्ट्रॉल एक ज़रूरी फैटी एसिड है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म और हार्मोन सिंथेसिस प्रोसेस में शामिल होता है। कोलेस्ट्रॉल कई तरह के होते हैं। इसमें LDL (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) और VLDL (वेरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन), ट्राइग्लिसराइड्स (बैड कोलेस्ट्रॉल) जिसे खराब कोलेस्ट्रॉल कहते हैं और HDL (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन) हैं, जो अच्छा कोलेस्ट्रॉल है। जब इनका लेवल बढ़ता है, विशेषकर नॉन-HDL कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है, तो यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
बैंगलोर के एस्टर सीएमआई हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संजय भट का कहना है, “नॉन-HDL या बैड कोलेस्ट्रॉल प्लेक बनने से आर्टरीज़ की परत मोटी हो जाती हैं, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं। अगर इस समस्या से दिमाग में ब्लड के फ्लो प्रभावित होने लगे, तो यह स्ट्रोक का कारण बन सकता है।”
मैंगलोर के KMC हॉस्पिटल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित पई का कहना है, “स्ट्रोक एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो दिमाग में ब्लड के सप्लाई में समस्या होने के कारण होती है। यह दो प्रकार का होता है – इस्कीमिक स्ट्रोक और हेमोरेजिक स्ट्रोक। 85 प्रतिशत स्ट्रोक इस्केमिक होता है और 15 प्रतिशत हेमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज होता है।”
स्ट्रोक के कारण
डॉ. पई का कहना है, “आमतौर पर ब्लीडिंग स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के कारण होता है, जिसमें ब्लड वैसल फट जाते हैं और दिमाग में ब्लड लीक होने लगता है। इस्केमिक स्ट्रोक दिमाग में ब्लड सप्लाई करने वाले ब्लड वैसल के ब्लॉकेज के कारण होता है। यह एथेरोथ्रोम्बोसिस (एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण आर्टरीज़ में क्लॉट बनता है) या कार्डियोएम्बोलिक स्ट्रोक के कारण होता है। इसमें क्लॉट हार्ट में बनता है और दिमाग तक फैल जाता है। यह वाल्वुलर हार्ट डिज़ीज़, प्रोस्थेटिक हार्ट वॉल और एट्रियल फाइब्रिलेशन (अनियमित हार्ट रेट) जैसे विभिन्न कारणों से हो सकता है।”
स्ट्रोक के सामान्य जोखिम के कारण निम्न हैं:
- वृद्धावस्था
- डायबिटीज़
- हाइपरटेंशन
- धूम्रपान करना
- शराब पीना
- क्रोनिक किडनी डिज़ीज़
- बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल
कोलेस्ट्रॉल और स्ट्रोक का जोखिम
डॉ. भट्ट का कहना है, “आदर्श रूप से LDL-HDL रेशियो और टोटल कोलेस्ट्रॉल बनाम HDL रेशियो 5 से कम होना चाहिए। स्ट्रोक के हिस्ट्री वाले लोगों के लिए LDL का लेवल 100 mg/dL से कम और 50 mg/dL से कम होना चाहिए।”
डॉ. पई का कहना है, “हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण स्ट्रोक के खतरे का हार्ट संबंधी घटनाओं से सीधा संबंध है। अगर हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो एथेरोथ्रोम्बोसिस की संभावना होती है, जिससे ब्लड वैसल मोटी हो जाती हैं और फिर स्ट्रोक होता है।”
हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण
डॉ. भट का कहना है, “हाई कोलेस्ट्रॉल होने के कई कारण हो सकते हैं। यह आनुवंशिक समस्या या फैमिली हाइपरलिपिडेमिया के कारण हो सकता है, जिसमें लोगों में LDL और ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल हाई हो जाता है। इनसे आर्टरीज़ कठोर हो जाती हैं।”
उन्होंने कहा कि जब तक एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या न हो जाए, तब तक हाई कोलेस्ट्रॉल के कोई संकेत या लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
क्या कोलेस्ट्रॉल कम करने से स्ट्रोक से बच सकते हैं?
कोलेस्ट्रॉल कम करने से इस्केमिक स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। एक्सपर्ट लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए दवाएं भी देते हैं।
डॉ. पई का कहना है, “100 mg/dL से अधिक LDL कोलेस्ट्रॉल लेवल के साथ स्ट्रोक या हार्ट रोग की हिस्ट्री वाले व्यक्ति को स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। अगर किसी को इस्केमिक स्ट्रोक या TIA (ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक) हुआ है, जिसमें कोरोनरी आर्टरी रोग या हार्ट की कोई बड़ी बीमारी नहीं हुई है, तो हार्ट की बड़ी बीमारी या सेरेब्रोवैस्कुलर बीमारी के जोखिम को कम करने के लिए LDL कोलेस्ट्रॉल को 70 mg/dL से कम बनाए रखना चाहिए। हाई ट्राइग्लिसराइड लेवल का ध्यान रखना चाहिए। स्ट्रोक की हिस्ट्री और 135 से 499 mg/dL के फास्टिंग ट्राइग्लिसराइड्स और 41 से 100 mg/dL के LDL वाले लोगों को दवा का अधिक डोज़ दिया जाता है।”
उन्होंन कहा कि अगर स्ट्रोक की बात है, तो पूरी हेल्थ हिस्ट्री को देखना ज़रूरी होता है।
डॉ. पई का कहना है, “स्ट्रोक के 4 या 4.5 घंटों के भीतर, समस्याओं पर रोक लगाने के लिए रिवास्कुलराइज़ेशन प्रोसीज़र या थ्रोम्बोलिसिस या थ्रोम्बेक्टोमी की जाती है। थ्रोम्बोलिसिस एक इंजेक्शन है, जिसे नसों में दिया जाता है और थ्रोम्बेक्टोमी एक ऐसा प्रोसीज़र है, जिसमें डॉक्टर ब्लड वैसल से थक्के को हटाते हैं। हार्ट संबंधी रोगों की तुलना में स्ट्रोक में मृत्यु होने के बजाय बीमारी से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है। इसके कारण लोग विकलांग हो सकते हैं, जिससे देखभाल करने वाले पर बोझ पड़ सकता है। दिमाग के प्रभावित हिस्से की वजह से इससे याददाश्त खोना, आंखों की रोशनी खोना, बोलने में समस्या या एप्रेक्सिया (शारीरिक क्षमता के बावजूद ऐक्टिविटीज़ को करने में असमर्थता) जैसे दांतों को ब्रश करना या कपड़े पहनना भूल जाने की समस्या भी हो सकती है।”
कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने के उपाय
एक्सपर्ट कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय बता रहे हैं:
- नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करें
- कम फैट वाले डायट का सेवन करें
- कार्ब्स के सेवन से बचें
- ऑयली फूड्स का सेवन न करें
- ट्रांस फैट और सेचुरेटेड फैट से बचें
- एक ही ऑयल का दोबारा उपयोग करने से बचें
- धूम्रपान और शराब से बचें
- अखरोट, बादाम और पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें
- ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर फूड्स का सेवन करें
- डॉक्टर की सलाह लेकर दवा खाएं
संक्षिप्त विवरण
- हाई कोलेस्ट्रॉल स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
- इससे आर्टरीज़ में क्लॉट हो जाता है, जिससे दिमाग में ब्लड की सप्लाई में रुकावट हो जाती है।
- हाई कोलेस्ट्रॉल के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
- याददाश्त खोना, आंखों की रोशनी खोना, बोलने में दिक्कत हो सकती है और व्यक्ति बेड पर पड़ा रह सकता है। यह इस बात पर निर्भर है कि दिमाग का कौन सा हिस्सा प्रभावित है।
- कोलेस्ट्रॉल कम करने से इस्केमिक स्ट्रोक का जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है। नियमित एक्सरसाइज़ और हेल्दी डायट के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव के अलावा, एक्सपर्ट कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दवाओं के सेवन की भी सलाह दे सकते हैं।