0

0

0

0

0

0

इस आलेख में

वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया: जब ब्लड की पंपिंग प्रक्रिया हो जाती है खराब
66

वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया: जब ब्लड की पंपिंग प्रक्रिया हो जाती है खराब

वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया: कोलकाता की एक 32 वर्षीय मीडियाकर्मी तमीना अली कहती हैं, “मुझे एक बार यह समस्या हुई थी और मैं इसे अपने जीवन में दोबारा होते हुए नहीं  देख सकती हूं। 2017 मेरे लिए एक स्ट्रेसपूर्ण समय था। इस समस्या की शुरुआत सीने में हल्के दर्द से हुई, जिसे मैंने सिर्फ एसिडिटी माना, लेकिन जल्द ही यह समस्या बढ़ने लगी। धीरे-धीरे बाएं हाथ की ओर नीचे होने लगी। जांच कराई तो ईसीजी रिपोर्ट सामान्य थी, जिसे देखकर डॉक्टर भी आश्चर्यचकित हो गए।”

वह कहती हैं, “मुझे बार-बार सांस फूलने, पसीना आने और उल्टी होने की समस्या होने लगी। मुझे अपने हार्ट रेट की नियमित जांच के लिए होल्टर मॉनिटर (वियरेबल डिवाइस) के साथ-साथ एंबुलेटरी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) का उपयोग करने को बोला गया। मैंने 24 घंटों तक डिवाइस का उपयोग किया और उससे यह पता चला कि दिन के एक निश्चित समय के दौरान मेरी हार्ट रेट अधिक हो जाती है, जो कभी-कभी 135 से 140 बीट प्रति मिनट (बीपीएम) जितनी अधिक हो जाती है।”

अली बताती है कि उनकी हार्ट रेट हमेशा सामान्य (110-115 बीपीएम) से थोड़ी तेज़ रहती है, लेकिन इससे पहले कभी ऐसे शारीरिक लक्षण महसूस नहीं हुए थे। जांच में पता चला कि सुप्रावेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया की समस्या है, जिसके कारण एरीथिमिया (हार्ट रेट में बदलाव) के कारण दिल तेज़ी से धड़कने लगता है। वह कहती हैं कि इसके लिए मुझे दवाएं दी गईं और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने को कहा गया। डायट में बदलाव के साथ नियमित रूप से आसान शारीरिक एक्सरसाइज़ भी करने को कहा गया। मेरी समस्या धीरे-धीरे कम होने लगी और पांच महीने के भीतर ही दवा बंद कर दी गई। उसके बाद बीमारी ही खत्म हो गई।

सुप्रावेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया एक सामान्य समस्या है, जो अपर हार्ट चैंबर में असामान्य हार्ट रेट के कारण होती है। डॉक्टर कहते हैं कि ऐसा बहुत कम देखने को मिला है कि यह किसी गंभीर बीमारी का कारण बनती है, लेकिन कुछ प्रकार के टेचिकार्डिया ऐसे भी हैं, जिन्हें अगर अनियंत्रित और बिना इलाज के छोड़ दिया जाए, तो उससे दिल का दौरा पड़ने का जोखिम हो सकता है।

सामान्य हार्ट रेट कितना होना चाहिए

हार्ट, शरीर के विभिन्न अंगों में ब्लड को पंप करता है। यह सिनो अट्रियल (एसए) नोड द्वारा इलेक्ट्रिकल इम्पल्स के जनरेट होने के कारण होता है, जिससे हार्ट के सभी चारों चैंबर का एक दूसरे से संपर्क होने लगता है और एक ही तरफ ब्लड फ्लो सुनिश्चित करने के लिए हार्ट के सभी चारों वाल्व एक सिंक्रोनाइज़ तरीके से खुलने और बंद होने लगते हैं।

चेन्नई के फोर्टिस हॉस्पिटल की इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एमएस मीनाक्षी बताती हैं, “हार्ट रेट (दिल की धड़कन), हार्ट के अंदर होने वाली एक नियमित गतिविधि है, जिसके अनुसार ये मांसपेशियां सिकुड़ती हैं। इसी तरह हार्ट रिदम इन इलेक्ट्रिकल इम्पल्स से होने वाला नियमित पैटर्न है। हर बार जब हार्ट के रिदम में अप्रत्याशित रूप से बदलाव होता है, तो इससे हार्ट रेट प्रभावित होने लगती है, जिससे यह धीमी या सामान्य से तेज़ हो जाती है। किसी भी वयस्क के लिए, सामान्य परिस्थितियों में हार्ट रेट 60 से 100 बीट प्रति मिनट के बीच होनी चाहिए। एरीथिमिया, अनियमित हार्ट रेट को कहते हैं। अगर हार्ट रेट सामान्य से तेज़ और धीमी होने लगे, तो इसे टेचिकार्डिया और ब्रैडीकार्डिया कहा जाता है।”

 

हार्ट की एरीथिमिया की समस्या कितनी खतरनाक है?

अधिकांश समय, हार्ट रेट में मामूली बदलाव होने पर लोगों को पता भी नहीं चलेगा, लेकिन हार्ट रेट में असामान्य रूप से बदलाव होने पर डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि यह असामान्य हार्ट रेट की समस्या हो सकती है, जो लंबे समय तक बनी रह सकती है।

वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया और आर्टिअल टेचिकार्डिया

डॉ. मीनाक्षी के अनुसार, “हमारे हार्ट को शक्ति देने वाले इलेक्ट्रिकल इम्पल्स दो ऊपरी चैंबर (आर्टिया) में जनरेट होते हैं और एसए नोड से होते हुए नीचे के दो चैंबर (वेंट्रिकल्स) तक जाते हैं, जिससे सभी चार हार्ट वाल्व निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार खुलते और बंद होते हैं और हमारे शरीर में ब्लड फ्लो को बनाए रखते हैं। इस पैटर्न में बदलाव होने पर हार्ट रेट में वृद्धि हो सकती है और इस स्थिति को टेचिकार्डिया कहा जाता है। इसी तरह जब हार्ट के ऊपरी चैंबर सामान्य से तीन से पांच गुना अधिक तेज़ी से धड़कने लगते हैं, तो इसे आर्टिअल टेचिकार्डिया कहा जाता है।”

डॉ. मीनाक्षी यह भी कहती हैं कि यह ज़्यादातर जानलेवा नहीं होता है, क्योंकि निचले चैंबर (वेंट्रिकल्स) में होने वाली कॉन्ट्रैक्शन रेट (संकुचन दर) से इस समस्या से बचाव होता है। अगर ऊपरी चैंबर 240 बार धड़कते हैं, तो निचले चैंबर में होने वाली धड़कन लगभग आधी मतलब 120 हो जाती है।

वह कहती हैं, “आर्टिअल टेचिकार्डिया के विपरीत, वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया या हार्ट के निचले चैंबर में होने वाली अनियमितता स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। जब हार्ट की मांसपेशियां खराब हो जाती हैं और इलेक्ट्रिकल इम्पल्स अनियमित तरीके से जनरेट होने लगते हैं, तो निचले चैंबर भी खराब होने लगते हैं, जिससे मस्तिष्क सहित शरीर में ब्लड फ्लो प्रभावित होने लगती है। अगर मस्तिष्क में सही से ब्लड सप्लाई नहीं होती है, तो व्यक्ति 30 सेकंड में गिर सकता है और एक या दो मिनट के भीतर मर भी सकता है।”

एक्सपर्ट यह भी बताते हैं कि हार्ट रेट तेज़ होने का हमेशा यह मतलब नहीं होता है कि हार्ट संबंधी कोई समस्या है। केवल बिना किसी उचित कारण के दिल की धड़कन में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होता है, तो इसकी जांच करानी चाहिए।

सीएमसी, वेल्लोर के फॉर्मर डायरेक्टर डॉ. सुनील चांडी कहते हैं, “यह अनियमित टेचिकार्डिया की समस्या भी हो सकती है। टेचिकार्डिया के रूप में इसकी पहचान होने के लिए कम से कम तीन बार अनियमित हार्ट रेट की समस्या होनी चाहिए। जैसे-जैसे यह बढ़ती जाती है, लंबे समय तक टेचिकार्डिया का अनुभव होने लगता है। यह ब्लड सप्लाई में समस्या होने के कारण होता है। तीन बार भी एक्सट्रा हार्ट रेट होने के कारण हार्ट से ब्लड फ्लो को बनाए रखना मुश्किल होता है।”

 

वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया होने का क्या कारण है?

डॉ. चांडी कहते हैं, “जिन लोगों को पहले से ही हार्ट संबंधी समस्या है, उनको वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया होने की अधिक संभावना होती है, विशेष रूप से 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को यह समस्या अधिक होती है। इसके साथ ही उम्र के साथ जोखिम बढ़ता जाता है और इसी तरह कम उम्र में जोखिम कम होता है। शुरुआती जांच और संभावित रूप से आजीवन दवा का सेवन करने से इसे मैनेज करने में मदद मिलती है।”

 

वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया होने के कुछ जोखिम वाले कारक हैं:

  • दिल का दौरा पड़ना
  • कार्डियोमायोपैथी
  • जन्मजात हार्ट संबंधी बीमारी
  • अत्यधिक एक्सरसाइज़ करना

 

क्या आप जानते हैं कि लोग जिम में गिरकर क्यों घायल हो रहे हैं?

डॉ. चांडी बताते हैं, “दिल के दौरे की समस्या अक्सर दिल की अन्य बीमारियों या दिल की अनियंत्रित असामान्यताओं के कारण होती है, खासकर जब अत्यधिक शारीरिक ऐक्टिविटी या अनियंत्रित ऐक्टिविटी, अत्यधिक एक्सरसाइज़ की गई हो। इससे संयुक्त रूप से हार्ट की रिदम में गंभीर बदलाव होता है, जिसके कारण गंभीर स्वास्थ्य परिणाम, जैसे टेचिकार्डिया (तेज़ हार्ट रेट) या ब्रैडीकार्डिया (कम हार्ट रेट) की समस्या हो सकती है। एक्सरसाइज़ और शारीरिक ऐक्टिविटी हमारी हार्ट रेट को बदल देती है, लेकिन अगर हमारा हार्ट स्वस्थ है, तो यह ठीक हो जाता है। वहीं, हार्ट स्वस्थ नहीं होने पर व्यक्ति को कार्डियक फेल्योर की समस्या हो सकती है।” डॉ. चांडी कहते हैं, “अगर आपका हार्ट स्वस्थ है, तो एक्सरसाइज़ के बाद तुरंत (तीन मिनट के भीतर) हार्ट रेट ठीक हो जाती है। अगर आपको लंबे समय से दिल की बीमारी है, तो हार्ट रेट ठीक होने में अधिक समय लगेगा।”

सीने पर लगी गंभीर चोटें भी हार्ट से मस्तिष्क तक ब्लड फ्लो में बाधा पहुंचाती है, क्योंकि ऐसी घटनाओं से इलेक्ट्रिकल इम्पल्स प्रभावित होते हैं और हार्ट के रिदम में अचानक बदलाव हो सकता है, जो ब्लड सप्लाई को प्रभावित कर देता है। कार दुर्घटनाओं में यह होना बहुत आम है; जिससे यह हेल्दी एथलीटों को भी प्रभावित कर सकता है।

डॉ. चांडी कहते हैं, “यह एक मिनट में मस्तिष्क को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। अगर सीने पर दबाव या सीपीआर के साथ तुरंत बेसिक सहायता नहीं की गई है, तो किसी की भी मृत्यु भी हो सकती है।”

वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया के लक्षण

डॉ. चांडी बताते हैं कि बार-बार अचानक बेहोश होना, चक्कर आना, जी मिचलाना, सांस फूलना आदि वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया के मुख्य लक्षण हैं। अगर इनके होने का उपयुक्त मेडिकल और शारीरिक कारण नहीं है, तो व्यक्ति को मेडिकल सहायता लेनी चाहिए। वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया के कारण अचानक कार्डियक समस्या से बचने के लिए निम्न सुझाव का पालन करें:

 

अगर संभव है, तो बीमारी के कारणों को ठीक करने की कोशिश करें

  • नियमित जांच कराएं
  • अकेले यात्रा करने से बचें
  • डायबिटीज़ और ब्लडप्रेशर लेवल को बेहतर बनाए रखें
  • थकाने वाले वर्कआउट से बचें

 

वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया के लिए सबसे अच्छा इलाज क्या है?

डॉ. चांडी बताते हैं, “बार-बार वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया की समस्या वाले लोगों को अक्सर एआईसीडी (ऑटोमैटिक इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डीफिब्रिलेटर) इंप्लान्ट कराने के लिए कहा जाता है। ये मरीज़ों के दिलों को फिर से ठीक करने के लिए हॉस्पिटलों में इस्तेमाल किए जाने वाले शॉक पैडल जैसे ही छोटे डिवाइस होते हैं। एआईसीडी को पेसमेकर की तरह डाला जा सकता है, जिसे वेंट्रिकुलर टेचिकार्डिया को समझने के लिए प्रोग्राम किया जाता है। अगर हार्ट रेट 200 से अधिक हो जाती है, तो इससे झटके का पता चल सकता है और ठीक किया जा सकता है।”

अपना अनुभव/टिप्पणियां साझा करें

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

प्रचलित

लेख

लेख
चूंकि शोल्डर इम्पिंगमेंट सिंड्रोम रिवर्सिबल है, यह सलाह दी जाती है कि जैसे ही दर्द के शुरुआती लक्षण दिखाई दें, आप डॉक्टर से मिलें
लेख
महिलाओं में होने वाला योनी स्राव एक सामान्य और बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। ये एक क्रीमी सा अम्लीय (एसिडिक) पदार्थ होता है जो महिलाओं की योनि को नम बनाए रखने का काम करता है।
लेख
लेख
लेख
फल निस्संदेह सबसे अधिक पौष्टिक भोजन है। हालाँकि, कई लोग सवाल पूछते हैं कि फल खाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
लेख
सही तरीके से सांस लेने और छोड़ने की तकनीक के बारे में जानें

0

0

0

0

0

0

Opt-in To Our Daily Healthzine

A potion of health & wellness delivered daily to your inbox

Personal stories and insights from doctors, plus practical tips on improving your happiness quotient

Opt-in To Our Daily Healthzine

A potion of health & wellness delivered daily to your inbox

Personal stories and insights from doctors, plus practical tips on improving your happiness quotient
We use cookies to customize your user experience, view our policy here

आपकी प्रतिक्रिया सफलतापूर्वक सबमिट कर दी गई है।

हैप्पीएस्ट हेल्थ की टीम जल्द से जल्द आप तक पहुंचेगी