आजकल की हमारी जीवनशैली में कई स्वास्थ्य समयस्याएं घेरे रहती हैं। दिल, लीवर के साथ-साथ ऐसी ही एक परेशानी है थायराइड की। थायराइड की समस्या हर दूसरे व्यक्ति में देखने को मिलेगी। इसके बाद मरीज को एक के बाद एक कई शारीरिक समस्याएं शुरू हो जाती हैं। प्राकृतिक उपचार जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक थायराइड हार्मोन उत्पादन और लक्षणों को प्रभावित कर सकते हैं।
हरियाणा के गुड़गांव से डाइट क्लिनिक की संस्थापक, आहार विशेषज्ञ शीला सहरावत बताती हैं “ थायराइड को शुरुआती स्टेज में कंट्रोल करना संभव है। अच्छी डाइट और लाइफस्टाइल को अपनाकर हम अपने लक्षणों पर काबू पा सकते हैं। हांलाकि, थायराइड डिसऑर्डर को प्रबंधित करने के लिए सही इलाज बहुत ज़रूरी है, लेकिन आहार और जीवनशैली में बदलाव भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”
मध्यप्रदेश के इंदौर से योगा थेरेपिस्ट, दीप चौधरी ने बताया कि वे इलाज के साथ योग इस परेशानी को कम करने में काफी कामगार है। वह खुद थायराइड के इलाज के साथ-साथ कई लोगों की समस्या को जड़ से खत्म कर चुके हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में थोड़ा वक्त लग जाता है।
दीप चौधरी बताते हैं ‘मेरे पास कई ऐसे मरीज़ आते हैं, जिनका थायराइड जेनेटिक और नॉन जेनेटिक होता है। योगा में कुछ प्रणायायाम की मदद से थाइराइड ग्रंथि पर काम किया जाता है, जो इसके लक्षणों से राहत दिलाती है।’ दीप का कहना है कि वक्त बेहतर और जल्दी परिणाम के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना बहुत ज़रूरी है।
थायराइड हार्मोन कैसे काम करता है?
थायराइड ग्रंथि यानी कि ग्लैंड हमारे गले के आगे के हिस्से में होती है। जो दिखने में तितली के आकार की होती है। थायराइड ग्लैंड का काम हमारे शरीर के आकार में वृद्धि और तापमान को कंट्रोल करने का है। थायराइड हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का काम करता है, इस प्रक्रिया में जो भी खाना हम खाते हैं, वह उसको ऊर्जा में बदलता है। हमारा गलत खान-पान और खराब जीवनशैली थायराइड हार्मोन को बहुत जल्दी प्रभावित करती है।
थायराइड हार्मोन दो प्रकार के होते हैं:-
- हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) को ओवर एक्टिव थायराइड भी कहते है। इस स्थिति में, थायराइड ग्रंथि ज्यादा मात्रा में हार्मोन का उत्पादन करती है।
- हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) की स्थिति में, थायराइड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बनाती है। इसको अंडरएक्टिव थायराइड के नाम से भी जाना जाता है।
क्या हाइपोथायरायडिज्म बिना दवा के ठीक हो सकता है?
जैसे कि हम पहले भी बात कर चुके हैं कि शुरुआती स्टेज में हाइपोथायरायडिज्म से जूझ रहे लोगों को अक्सर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। हल्के हाइपोथायरायडिज्म को आमतौर पर जीवनशैली में कुछ नए बदलाव करके जैसे कि हेल्दी डाइट, रोज़ाना, एक्सरसाइज़, योग और मेडिटेशन करने से शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है, जिससे इसे प्राकृतिक रूप से ठीक किया जा सकता है।
कई अध्ययनों की मानें तो थायराइड की समस्या का एक कारण तनाव भी है, जिसे एक्सरसाइज़ और मेडिटेशन करके काबू किया जा सकता है। वैसे, आपको हाइपोथायरायडिज्म के दौरान अपने आहार में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए। थायराइड के मरीज़ों को कई बार डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्या भी होती हैं, जिनके आधार पर ही डॉक्टर आपको बताएंगे कि क्या करना है, क्या नहीं।
थायराइड हार्मोन को संतुलित करने के लिए कुछ कामगार थेरेपी
एक्यूपंक्चर थायराइड में आपके शरीर में एनर्जी के प्रवाह को बेहतर बनाने का काम करता है। एक्यूपंक्चर का उपयोग आमतौर पर दर्द को कम करने के लिए किया जाता है, लेकिन थायराइड के चल रहे ट्रीटमेंट पर अच्छी तरह से प्रतिक्रिया देने में भी मदद कर सकता है। इसके अलावा, इससे आपके इम्यून सिस्टम को भी मज़बूती मिलती है।
किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या को कम करने के लिए योगा सबसे बेहतर विकल्प है। हालांकि, इस बात का वैज्ञानिक रूप कोई सबूत नहीं हैं, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि योगा करने से थायरॉयड ग्रंथि में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार हो सकता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम काफी आसान है और थायराइड हार्मोन को संतुलित करने के लिए ये काफी मददगार है। हाइपोथायरायडिज्म के इलाज के दौरान आप साथ में मेडिटेशन भी कर सकते हैं। ये आपको जल्दी ठीक होने में मदद करेगा।
हेल्दी आहार और जीवनशैली का है अहम किरदार
हाइपोथायरायडिज्म का सही तरह से मुकाबला करने के लिए इस बात पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है कि आप अपने शरीर में क्या डाल रहे हैं। एक हेल्दी वजन बनाए रखने के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप स्वस्थ आहार का सेवन करें।
इसी तरह से अपनी जीवनशैली में रोज़ाना एक्सरसाइज़ को शामिल करने से आपको तनाव नहीं होगा। हाइपोथायरायडिज्म के साथ डिप्रेशन की समस्या आम देखने को मिलती है, ऐसे में आप सही विकल्पों को चुनकर और इस बीमारी से छुटाकारा पा सकते हैं। हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों में आयोडीन एक आवश्यक मिनरल है, जो थायराइड हार्मोन बनाने का काम करता है। लेकिन, आयोडीन के सप्लीमेंट का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही लें। ओमेगा.-3 फैटी एसिड हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों की डाइट के लिए एक अच्छा विकल्प है। थायराइड से ग्रस्त लोगों के लिए सेलेनियम एक बेहतर स्रोत है। आप उन नट्स का सेवन करें, जिनमें इसकी मात्रा ज्यादा होती है।
2023 के शोध की मानें, तो प्रति दिन 200 माइक्रोग्राम सेलेनियम के पूरक से थायरॉइड एंटीबॉडी में कमी आती है और हाशिमोटो के थायरॉयडिटिस वाले लोगों में मूड स्विंग जैसे कुछ लक्षणों में सुधार होता है।
हाइपरथायरायडिज्म में कैसे करें आहार का चयन?
यदि कोई व्यक्ति हाइपरथायरायडिज्म के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन ट्रीटमेंट के दौरान लोगों को डॉक्टर उन्हें कम आयोडीन वाला आहार लेने की सलाह देते हैं। लो आयोडीन में वो आहार आते हैं, जिसमें प्रति दिन 50 माइक्रोग्राम से कम आयोडीन होता है। पत्तेदार सब्जियों में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने में मदद करते हैं और थायराइड द्वारा आयोडीन के अवशोषण को कम करने का काम करती है। जो हाइपरथायरायडिज्म वाले व्यक्ति के लिए काफी फायदेमंद हैं। वहीं, हरी पत्तेदार सब्जियों में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने में मदद करते हैं और थायराइड द्वारा आयोडीन के अवशोषण को कम करने का काम करती है। जो हाइपरथायरायडिज्म वाले व्यक्ति के लिए काफी फायदेमंद हैं।
हाइपरथायरायडिज्म और बोन मिनरल डेनसिटी की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में, अपनी डाइट में, कैल्शियम और विटामिन डी दोनों आहार को ज़रूर शामिल करें। ये हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।
निष्कर्ष
थायराइड जैसी बीमारी के लिए प्राकृतिक उपचार दवा चल रहे इलाज की जगह तो नहीं ले सकते हैं, लेकिन आपके लक्षणों में राहत देने का काम ज़रूर करते हैं। आप किसी भी तरह के प्राकृतिक उपचार को लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।