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स्टडी कहती है केवल न्यूरोलॉजी से नहीं, बल्कि ब्रेन हाइपरटेंशन मेटाबॉलिज्म से भी जुड़ा है 
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स्टडी कहती है केवल न्यूरोलॉजी से नहीं, बल्कि ब्रेन हाइपरटेंशन मेटाबॉलिज्म से भी जुड़ा है 

नए रिसर्च से पता चला है कि शारीरिक वजन कम करने पर ओबेसिटी से ग्रस्त महिलाओं का ब्रेन हाइपरटेंशन (brain hypertension) (इडियोपैथिक इंट्राक्रानियल हाइपरटेंशन) काफी कम होता है।

न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक नए रिसर्च में बताया गया है कि ब्रेन हाइपरटेंशन (brain hypertension) या इडियोपैथिक इंट्राक्रानियल हाइपरटेंशन (Idiopathic Intracranial Hypertension) (आईआईएच – IIH) की स्थिति से जूझ रही उन महिलाओं को शारीरिक वजन कम करने के सतत प्रयास से काफी लाभ मिल सकता है जो ओबेसिटी से ग्रस्त हैं।  

 यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, यूके की एक टीम के नेतृत्व में किए गए इस शोध में ब्रेन हाइपरटेंशन (brain hypertension) के साथ मेटाबॉलिज्म का एक लिंक पाया गया है जिससे प्रारंभिक चरण में इस स्थिति का निदान करना संभव हो सकता है। साथ ही, रिसर्चर्स बता रहे हैं कि शारीरिक वजन कम करने से मेटाबॉलिक डिस्टारबेन्सेस (metabolic disturbances) को पलटा जा सकता है और ब्रेन हाइपरटेंशन (brain hypertension) को कम किया जा सकता है। 

ब्रेन और नर्व में सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड के चारों ओर मौजूद एक बेरंग तरल पदार्थ) की मात्रा के बढ़ने से अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है एवं यह ब्रेन हाइपरटेंशन (brain hypertension) का कारण बन सकता है। देखा गया है कि ब्रेन हाइपरटेंशन आमतौर पर ओबेसिटी से ग्रस्त महिलाओं में प्रजनन की क्षमता रखने वाले सालों / संतान धारण करने की क्षमता वाले वर्षों के दौरान देखा जाता है जिसके साधारण लक्षण हैं सिरदर्द (headaches) और आँख की डिस्क में सूजन (swelling in the disc of the eye)। अगर सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (cerebrospinal fluid) ऑप्टिक नर्व में जमा होने लगे, तो इससे दृष्टि हमेशा के लिए जा सकती है। फ्लूइड के जमा होने का असर हृदय और रक्त वाहिकाओं (blood vessels) पर भी पड़ सकता है। मगर यह भी बता दें कि ब्रेन हाइपरटेंशन (brain hypertension) के सटीक कारण का अभी तक पुरी तरह से पता नहीं चल पाया है। 

हालिया अध्ययन प्रोफेसर एलेक्जेंड्रा जीन सिंक्लेयर द्वारा इससे पहले की गई रिसर्च पर आधारित है जिसमें उन्होंने मेटाबॉलिक डिस्टारबेन्सेस (metabolic disturbances) और आईआईएच (IIH) के बीच एक कड़ी को ढूंढ निकाला था। प्रोफेसर सिंक्लेयर पेपर की वरिष्ठ लेखिका और बर्मिंघम विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर हैं। 

रिसर्चर्स ने आईआईएच (IIH) से ग्रस्त 18 से 55 वर्ष की महिलाओं के रक्त, मूत्र और सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (cerebrospinal fluid) के नमूनों की जाँच की। ये नमूने यूके के नैशनल हेल्थ सर्विस (National Health Service) अस्पतालों के न्यूरोलॉजी और ऑपथैल्मोलॉजी क्लीनिकों से लिए गए थे। जाँच के दौरान पाया गया कि कंट्रोल ग्रुप महिलाओं की तुलना में आईआईएच (IIH) से ग्रस्त महिलाओं का मेटाबॉलिज्म अलग है।  

मेटाबॉलिक अनालिसिस (metabolic analysis) द्वारा पता चला कि आईआईएच (IIH) वाले लोग इंसुलिन के प्रति रजिसटेंट (insulin resistance) हो जाते हैं और फैट टिशू (fat tissues) के काम करने की पद्धति में बदलाव के कारण शरीर में कैलोरी जमा होने लगती है और वजन बढ़ने लगता हैइन बातों का पता चलने पर टीम ने उन महिलाओं को 12 महीने के वजन घटाने वाले प्रोग्राम में शामिल किया और उनके मेटाबॉलिक मापदंडों की दोबारा जाँच की। उन्हें पता चला कि मेटाबॉलिक मार्कर (metabolic markers) रिवर्स हो गए हैं (पूर्व स्थिति में लौट गए हैं) और इन महिलाओं में ब्रेन हाइपरटेंशन (brain hypertension)  की गंभीरता/लक्षण कम हो गए हैं। इन नतीजों के आधार पर टीम ने यह निष्कर्ष निकाला कि ब्रेन हाइपरटेंशन (brain hypertension) न्यूरोलॉजिकल स्थिति (neurological condition) से बढ़कर एक मेटाबॉलिक समस्या है। 

 ओलिविया ग्रेच, जो इंस्टीट्यूट ऑफ मेटाबॉलिज्म एंड सिस्टम्स रिसर्च में पीएचडी रिसर्चर हैं, और इस लेख की फर्स्ट ऑथर हैं, उन्होंने एक बयान में कहा, “आईआईएच रोगियों में मेटाबोलाइट कॉन्सन्ट्रेशन (metabolite concentrations) की मात्रा का आकलन करने वाला यह पहला अध्ययन है जिसने आल्टर्ड मेटाबॉलिक पाथवेज़ (altered metabolic pathways) की पहचान की है। इस कार्य ने उन डिजिज पाथवेज़ को समझने में हमारी मदद की है जिनसे रोगियों का ब्रेन प्रेशर और सिरदर्द बढ़ता है।” 

 

 

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