एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों को बहुत तेज़ दर्द, खड़े होने में परेशानी, चलने और एक्सरसाइज़ करने में मुश्किल पैदा करने वाले फुट कॉर्न की रोकथाम आसान उपायों से की जा सकती है या जल्द इलाज भी किया जा सकता है।
फुट कॉर्न और कॉलस डेड स्किन सेल्स होते हैं, जो किसी व्यक्ति के हाथों या पैरों पर मोटे घाव जैसे बन जाते हैं। ये देखने में एक दूसरे से अलग होते हैं। कॉर्न ठोस और मोटे कोर के साथ साइज़ में छोटे होते हैं और मोटे डेड स्किन सेल्स पर होते हैं, जबकि कॉलस तुलनात्मक रूप से बड़े होते हैं, साइज़ और मोटाई में अलग होते हैं और इसमें कोई कोर नहीं होता है। इन्फेक्शन से बचने, फैलने और दर्दनाक होने से रोकने के लिए कॉलस और कॉर्न, दोनों का तुरंत इलाज करना चाहिए।
कॉर्न के इलाज के लिए उसे शरीर से निकाल दिया जाता है, जिसके लिए आमतौर पर सर्जिकल और नॉन–सर्जिकल तरीके अपनाए जाते हैं। पैर में कॉर्न के मामले में अच्छी बात यह है कि आपको इसके निकालने तक इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि निकालने के बजाय, आप इसे आसान उपायों से रोक सकते हैं।
फुट कॉर्न कैसे बनता है?
कॉर्न (फुट कॉर्न) को “हेलोमा” या “क्लैवस” भी कहा जाता है, जो स्किन सेल्स से बना हुआ मोटा घाव जैसा होता है। मुंबई के वी–केयर क्लिनिक की पोडियाट्रिस्ट डॉ. सारिका जंभुलकर का कहना है, “जब भी लोग खड़े होते हैं या चलते हैं, तो पूरे शरीर का वज़न पैरों के तलवों पर पड़ता है। इसके कारण, पैरों के कुछ क्षेत्रों पर अधिक दबाव पड़ता है। पैरों के प्रकार (विशेष रूप से फ्लैट फीट या हाई–आर्कड पैरों में) के आधार पर दबाव बदलता रहता है और ऐसा पैरों के विभिन्न क्षेत्रों में भी होता रहता है। जिन भी क्षेत्र में अधिक दबाव पड़ता है, वहां कॉलस होने का खतरा होता है, जो इलाज न किए जाने पर कॉर्न में बदल सकता है। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि कॉर्न हमेशा कॉलस बनने के बाद ही हो, क्योंकि कभी–कभी सीधे कॉर्न की समस्या भी हो सकती है।
फुट कॉर्न के कारण और लक्षण
डॉ. जम्भुलकर का कहना है, “खड़े होने, चलने और दौड़ने के दौरान पैरों पर पड़ने वाला दबाव जैसे कई कारणों से कॉर्न बन सकते हैं। नैरो–फिटिंग जूते और हाई हील पहनने से भी यह समस्या हो सकती है, साथ ही पैर की उंगलियों में ऐंठन और पोस्चर संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। ये शरीर के वज़न के प्रेशर को पड़ने के तरीके को भी बदल देते हैं, जिससे दूसरे पैर पर दबाव बढ़ जाता है। इससे पैर की उंगलियों पर और पैरों के नीचे कॉर्न बनने की संभावना बढ़ जाती है। कॉर्न होने का एक अन्य मुख्य कारण खराब फिटिंग या गलत साइज़ के स्पोर्ट्स जूते पहनना है, जिसमें बहुत अधिक घर्षण पैदा होता है।“ दबाव और घर्षण, दोनों के कारण पैरों के उस क्षेत्र में स्किन की परत मोटी हो जाती है और कॉर्न बन सकता है।
कॉर्न के दर्दनाक लक्षण एवं प्रभाव
पैर की उंगलियों पर ठोस कॉर्न और उनके बीच के सॉफ्ट कॉर्न, दोनों को छूने पर हो सकता है कि दर्द नहीं भी हो, लेकिन व्यक्ति को उन ऐक्टिविटीज़ के दौरान दर्द महसूस होता है, जब उस क्षेत्र पर दवाब पड़ता है। व्यक्ति को खड़े होना, चलने और दौड़ने के समय दर्द का अनुभव हो सकता है। इलाज में देरी करने से दर्द बढ़ता चला जाता है।
डॉ. जम्भुलकर का कहना है, “चूंकि कॉर्न से पीड़ित लोगों को चलने में भी दर्द होता है, इसलिए लोग रोज़ की जाने वाली किसी भी प्रकार की फिज़िकल ऐक्टिविटी को कम करने लगते हैं, जिससे उन्हें फिटनेस संबंधी समस्या भी हो सकती है।”
फुट कॉर्न की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
डॉ. जम्भुलकर का कहना है, “रोकथाम के लिए समस्या के कारण को ठीक करना ज़रूरी है। इसके होने के मुख्य कारणों में से एक कारण है गलत जूते का इस्तेमाल कनरा। इसलिए सही फिट होने वाले शूज़ का उपयोग करें। हाई हील पहनने या नंगे पैर चलने से बचें। स्पोर्ट्स शूज़ पहनते समय, घर्षण को कम करने और फिज़िकल ऐक्टिविटी के दौरान पैरों को अधिक सुरक्षित करने के लिए सामान्य मोज़ों की तुलना में थोड़े मोटे मोज़े चुनें।
स्किन को स्वास्थ्य बनाए रखना भी ज़रूरी है। इसके लिए नियमित रूप से पैरों की सफाई और मॉइस्चराइजिंग इस्तेमाल करें। ऐसा करने से कॉलस बनने पर भी वह कॉर्न में बदलने से पहले ही निकल जाता है।
कॉर्न्स का इलाज कैसे करें?
कॉर्न्स को सर्जिकल और नॉन–सर्जिकल, दोनों तरीकों से हटाया जा सकता है। आमतौर पर लोग स्किन के मोटे घाव को खुरचने की कोशिश करते हैं। यह कॉलस को हटाने के लिए काम करता है, लेकिन ऐसा करना कॉर्न के सही नहीं है। इससे वे पैरों में टिश्यू के लेयर तक में गहराई से बढ़ सकते हैं, साथ ही खरोंचने की कोशिश से पैरों को अधिक नुकसान हो सकता है।
डॉ. जम्भुलकर का कहना है, “कई लोग कुछ मलहम या कॉर्न कैप का भी उपयोग करते हैं, जो कॉर्न के इलाज के लिए बहुत प्रभावी नहीं होते हैं। सही जूते पहनने से दबाव पड़ने की स्थिति में सुधार होती है और इससे कॉर्न वाले क्षेत्र पर दबाव से राहत पाने में मदद मिल सकती है। आसपास के हेल्दी टिश्यू को खराब किए बिना भी कॉर्न को हटाया जा सकता है।
कॉर्न को पूरी तरह से हटाने से इसके दोबारा होने की संभावना कम हो सकती है, लेकिन व्यक्ति को पोडियाट्रिस्ट द्वारा यही सलाह दी जाती है कि वज़न समान रूप से पड़े और दबाव और घर्षण में कमी आए, इसके लिए सही साइज़ के जूते पहनने चाहिए।
संक्षिप्त विवरण
- कॉर्न या फुट कॉर्न छोटे घाव होते हैं, जो डेड स्किन सेल्स होते हैं और किसी व्यक्ति के हाथों या पैरों पर मोटे घाव जैसे बन जाते हैं।
- शरीर के वज़न के पैरों पर पड़ने के आधार पर दबाव क्षेत्र बन जाते हैं। समय के साथ, इससे क्षेत्र में टिश्यू मोटा हो सकता है, जिससे कॉर्न्स बन सकता है।
- गलत साइज़ के जूते से घर्षण पैदा होता है, जो फुट कॉर्न होने का एक अन्य कारण है।
- इन्हें सर्जिकल और नॉन–सर्जिकल तरीकों से हटाया जा सकता है। पोडियाट्रिस्ट से सलाह लेना, सही जूते पहनना और पैरों को साफ और नमीयुक्त रखना, स्किन को कोमल और स्वस्थ बनाए रखने से फुट कॉर्न की रोकथाम हो सकती है।