इस लेख में हम नी रिप्लेसमेंट की बात करेंगे। हालांकि दर्द चाहे किसी भी तरह का हो, बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है। नी ऑस्टियोआर्थराइटिस को डिजेनरेटिव जॉइंट डिजीज़ भी कहते हैं, इसके कारण पीड़ितों को कई प्रकार का गंभीर दर्द का अनुभव होता है। इससे घर का कोई काम करने, सीढ़ियां चढ़ने, या शौचालय का उपयोग करने जैसे बुनियादी कामों के लिए भी किसी और व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता होती है, जो परेशान करती है।
नी ऑस्टियोआर्थराइटिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति को जीवन भर नियमित रूप से नुकसान होता चला जाता है और घुटने के जॉइंट्स में आर्टिकुलर कार्टिलेज के नुकसान से घुटने में कठोरता, सूजन हो जाती है और इसके कारण घुटने में दर्द होने लगता है। समय के साथ बीमारी बढ़ती जाती है, रोज़ाना की ऐक्टिविटीज़ करने में दिक्कत होने लगती है।
नी ऑस्टियोआर्थराइटिस की गंभीर समस्या होने पर डॉक्टर इलाज के रूप में टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह देते हैं।
बेंगलुरु निवासी और हाउस वाइफ 65 वर्षीय शोभा गांधी कहती हैं, ”नवंबर 2022 में मेरी बायलेटरल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई।”
गांधी के घुटनों से लेकर पिंडली की मांसपेशियों, ग्लूट्स और पीठ तक दर्द फैल गया था। ऑस्टियोआर्थराइटिस से संबंधित दर्द के कारण उसकी ऐक्टिविटीज़ बिल्कुल ही सीमित हो गई थीं और इसके कारण वह अपने घर से बाहर नहीं निकल पाती थीं। उसने एक्वाथेरेपी सेशन, कई वर्षों तक फिज़ियोथेरेपी, इंजेक्शन और दर्द निवारक दवाएं सहित कई तरह की थेरेपी कराई। उसके बाद एक्स-रे कराने पर बीमारी के बढ़ने का संकेत तो नहीं मिला, लेकिन दर्द फिर से होने लगा और राहत केवल थोड़ी देर तक ही रही।
आखिरकार, गांधी ने बायलेटरल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कराई। सभी मेडिकल टेस्ट कराने के बाद, सर्जरी हुई और छह दिनों में उसे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई।
हॉस्पिटल से छुट्टी के बाद फिज़ियोथेरेपिस्ट रोज़ गांधी की मदद करते हैं। पहले हफ्ते में गांधी ब्रेसिज़ और वॉकर की मदद से चलने लगीं। दो सप्ताह के अंत तक, वह ब्रेसिज़ या वॉकर में से किसी एक के सहारे अपना काम कर सकती थीं। उसे उम्मीद है कि जल्द ही वह बिना किसी मदद के चल सकेंगी और सीढ़ियां भी चढ़ पाएंगी।
गांधी कहती हैं, “पूरी प्रक्रिया में सबसे अच्छी बात यह हुई कि ऑस्टियोआर्थराइटिस से होने वाला कष्टदायी दर्द ही गायब हो गया।”
घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी कौन करा सकता है?
नी ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या वाले सभी लोगों की सर्जरी हो, यह ज़रूरी नहीं है, बल्कि बुजुर्ग लोगों (60 से 65 वर्ष की आयु) में सर्जरी की संभावना अधिक होती है, क्योंकि नी रिप्लेसमेंट लगभग 20 से 25 वर्षों तक ही काम करती है। अगर कम उम्र के लोग सर्जरी कराते हैं, तो भविष्य में दूसरी बार ऑपरेशन कराने की आवश्यकता हो सकती है।
बेंगलुरु के फोर्टिज हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक्स, बोन और जॉइंट सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. नारायण हुल्स कहते हैं, “अगर व्यक्ति को रोज़मर्रा के काम में परेशानी होने लगती है और दर्द ठीक नहीं होता है, तो ही सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। दर्द निवारक, एक्सरसाइज़, फिज़ियोथेरेपी, लाइफस्टाइल में बदलाव, चलने में सहायता के लिए डिवाइस और दर्द को नियंत्रित करने के लिए अन्य दवाओं जैसे उपायों से जब दर्द को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, तब नी रिप्लेसमेंट की सलाह दी जाती है। एक्स-रे कराने पर जॉइंट में आर्थराइटिस की गंभीर समस्या देखने को मिलती है, जिसके बाद निर्णय लिया जाता है।”
शरीर के वज़न, अन्य जुड़ी बीमारियों, मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम और अन्य मेडिकल डिसऑडर पर भी विचार किया जाता है। वर्षों के दौरान ऐक्टिविटी में कमी के कारण नी ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले रोगियों में आमतौर पर हाई बॉडी मास इंडेक्स देखने को मिलता है।
बेंगलुरु के होसमत हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट और फुट एंकल सर्जन डॉ. अनन्या पुट्टाराजू कहती हैं, “हम 30 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले किसी भी व्यक्ति को वज़न कम करने की सलाह देते हैं, लेकिन यह चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिए, उनके वज़न कम होने का इंतजार करना और फिर सर्जरी करना व्यावहारिक नहीं हो पाता है। अगर बीएमआई 40 से अधिक है, तो हम बेरियाट्रिक सर्जरी की सलाह देते हैं।”
डॉ. हल्स कहते हैं, “इसके अतिरिक्त, यह सलाह दी जाती है कि सर्जरी से पहले उनका स्वास्थ्य सबसे अच्छा हो।”
घुटने की रिप्लेसमेंट की तकनीक
विश्व में पहली बार नी रिप्लेसमेंट सर्जरी 1968 में की गई थी। पिछले पांच दशकों में सर्जरी की तकनीक में बहुत सुधार हुआ है।
डॉ. पुट्टाराजू कहते हैं, “शुरुआती चरणों में, हम फिज़ियोथेरेपी, एनाल्जेसिया आदि के साथ इलाज की कोशिश करते हैं। अगर कार्टिलेज पूरी तरह से घिस जाती है, तो हड्डी एक-दूसरे को छूती है, जिससे अत्यधिक दर्द होता है। ऐसे में स्थायी समाधान नी रिप्लेसमेंट ही है।”
डॉ. हल्स के मुताबिक, “ऑपरेशन में घुटने के सामने एक लंबा कट लगाया जाता है, जिससे घुटने के जाइंट की हड्डियां दिखने लगती हैं, जो जांघ और पैर की हड्डी होती हैं। इन बीमार हड्डियों को मेटल कैप या मेटल से बने इंस्ट्रूममेंट्स का उपयोग करके फिर से पहले जैसा बनाया जाता है। इसके लिए, आमतौर पर बोन सीमेंट का उपयोग किया जाता है। दोनों मेटल के बीच में एक पॉलीथीन डिस्क रखी जाती है। एक यूूनिट के रूप में इससे जॉइंट शून्य से लगभग 130-140 डिग्री तक झुक सकता है। इससे जांघ की हड्डी और पैर की हड्डी बीच में आने वाली मेटल और पॉलीथीन डिस्क के कारण एक दूसरे को नहीं छूती हैं। यह पहले की तरह काम करती है और इससे दर्द नहीं होता है।”
घुटने की रिप्लेसमेंट के बाद रिकवरी
रिकवरी प्रोसेस बहुत महत्वपूर्ण है। सर्जरी के बाद रिकवरी सामान्य रूप से और मेडिकल देखरेख में होनी चाहिए।
डॉ. हल्स कहते हैं, “यूनिलेटरल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद, फिज़ियोथेरेपिस्ट की मदद से व्यक्ति के जॉइंट्स की गतिशीलता उसी दिन या अगले दिन वापस आ जाती है। अगले तीन या चार दिनों के भीतर, मरीज़ अपने दम पर कुछ दूरी तय कर सकते हैं और फिर तीसरे दिन उन्हें घर भेज दिया जाता है। लगभग 15 दिनों के बाद जॉइंट्स के टांके हटा दिए जाते हैं और लगभग तीन से चार सप्ताह के समय में मरीज़ बैसाखी की मदद के बिना घर के अंदर और बाहर चलने लगता है। लगभग छह सप्ताह तक, अधिकांश मरीज़ अपने सभी सामान्य ऐक्टिविटीज़ करना शुरू कर देते हैं, जो वे सर्जरी से पहले करते रहे हैं।”
इसकी तुलना में, बाइलेटरल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए रिकवरी में थोड़ा अधिक समय लगता है।
डॉ. पुट्टाराजू कहते हैं, “सर्जरी के बाद पहली बार चलना थोड़ा मुश्किल होता है। उचित गतिशीलता और संतुलन को बनाने में योग्य फिज़ियोथेरेपिस्ट सहायता करते हैं।”
हालांकि यह सर्जरी ज़्यादातर बुजुर्गों के लिए किया जाता है, लेकिन आजकल युवाओं को भी असहनीय दर्द की समस्या देखने को मिलती है और नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करानी पड़ती है। सर्जरी के बाद युवा इलाज के बाद खेल जैसी अधिकांश रोज़मर्रा की ऐक्टिविटीज़ में शामिल हो सकते हैं और लेकिन उन्हें यह सलाह दी जाती है कि वे ऐसी ऐक्टिविटीज़ (जैसे स्किपिंग) और हैवी ऐक्टिविटीज़ (फुटबॉल, रग्बी) से बचें, जिनसे यह बीमारी दोबारा हो सकती है।
अधिकांश लोग कम प्रभाव वाले खेलों (जैसे टेबल टेनिस, लाइट बैडमिंटन, तैराकी) और मनोरंजक ऐक्टिविटीज़ (ड्राइविंग, यात्रा) में भाग ले सकते हैं।
डॉ. हल्स कहते हैं, “नी रिप्लेसमेंट का मुख्य लक्ष्य दर्द से राहत पाने के साथ रोज़मर्रा की ऐक्टिविटीज़ को वापस पाना है।”
सारांश
- अगर सही से किया जाए, तो नी रिप्लेसमेंट सर्जरी से व्यक्ति को नी ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द से राहत मिल सकती है।
- सर्जरी के बाद, रिकवरी के चरण के दौरान, जॉइंट्स को गतिशील करने के लिए एक फिज़ियोथेरेपिस्ट की सहायता लेनी होती है।
- नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के कई लाभों में से एक यह लाभ है कि नियमित ऐक्टिविटीज़ फिर से की जा सकती है, लेकिन उन ऐक्टिविटीज़ से बचना चाहिए, जो इम्प्लांट को नुकसान पहुंचा सकती हैं।