पूरी दुनिया में बाल यौन शोषण के चौंका देने वाले आंकड़ों के साथ, बच्चों को सेफ टच और अनसेफ टच के बारे में बताना उन्हें इसे पहचानने और शिकायत करने के लिए सशक्त बनाएगा।
इंडोनेशिया के जकार्ता की निवासी एक गृहिणी गायत्री कामथ अपने साथ एक घटी घटना के बारे में बताती हैं। वर्ष 2018 में एक दिन उनकी बेटी ग्रीष्मा स्कूल से लौटी। जब वह ग्रीष्मा को स्नान करा रही थी, उस समय ग्रीष्मा ने कुछ ऐसा कहा, जिससे वह सरप्राइज हो गईं। 4 साल की उस बच्ची ने कहा, “माँ! यह बैड टच है!” नई बात सुनकर वह उलझन में पड़ गई और फिर गायत्री ने यह जानने के लिए ग्रीष्मा के शिक्षक को फोन किया कि क्या ग्रीष्मा को स्कूल में सेफ टच और अनसेफ टच सिखाया गया है।
ग्रीष्मा एक जिज्ञासु बच्ची थी, इसलिए वह और अधिक सोचने लगी। “क्या मुझे दादी छू सकती है? चाचा छू सकते हैं?” यहां तक कि उसने शरीर के विभिन्न अंगों की ओर इशारा करते हुए पूछना शुरू कर दिया कि उनमें से किसे छूना सुरक्षित और असुरक्षित है।
गायत्री ने उसे बैठाया और एक ऐक्टिविटी की, जिसमें उन्होंने कागज की एक शीट पर कंसेंट्रिक सर्किल बनाए, जिसमें उसके परिवार के करीबी मेंबर सबसे नज़दीक थे और अजनबी लोग सबसे दूर थे।
अब गायत्री की बेटी 9 साल की है। गायत्री कहती हैं, “मैंने उन्हें यह बताने के लिए डायग्राम का उपयोग किया कि कौन उन्हें कहां और किस परिस्थिति में छू सकता है।”
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बाल यौन शोषण (सीएसए) ”एक साइलेंट हेल्थ इमरजेंसी’ है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता और बहुत कम रिपोर्ट की जाती है, साथ ही इसे सही से मैनेज नहीं किया जाता है।
कई रिसर्चों के अनुसार, दुनिया के आठ बच्चों में से एक (12.7 प्रतिशत) का 18 वर्ष की आयु से पहले यौन शोषण हुआ है, जिनमें से अधिकांश अपराधी उनके परिचित व्यक्ति रहे हैं।
हैदराबाद में बाल यौन शोषण पर जागरूकता बढ़ाने का काम करने वाले नॉन-प्रोफिट कंपनी ब्रेक द साइलेंस के को-फाउंडर, रमेश किदांबी कहते हैं, “बाल यौन शोषण के कम रिपोर्ट होने के कुछ कारण ये हैं कि बच्चे अपने अनुभव से उसे पहचान नहीं पाते। इसके अलावा इससे जुड़ी शर्म और बदनामी की बात भी होती है।”
किदांबी कहते हैं, “अपराधी बच्चे को धमकी देकर या डरा कर और बच्चे को दोषी महसूस कराकर यौन शोषण के बारे में गोपनीयता बनाए रखने के लिए बोल सकते हैं। कुछ लोग इसे प्यार और स्नेह की आड़ में भी कर सकते हैं। गुड और बैड टच के बारे में जानकारी देने से बच्चे यौन शोषण को पहचान सकते हैं और शिकायत कर सकते हैं।”
बच्चों को सेफ टच और अनसेफ टच कैसे सिखाएं?
बाल संरक्षण एक्सपर्ट के रूप में भी काम करने वाली बेंगलुरु की गायनाकोलोजिस्ट डॉ. शैब्या सल्दान्हा कहती हैं, “बच्चे जब भाषा समझने लगते हैं, जैसे कि उन्हें 1.5 साल की उम्र से ही सेफ टच और अनसेफ टच के बारे में बताना शुरू कर देना चाहिए।”
डॉ. सल्दान्हा का मानना है कि नहाने का समय और टॉयलेट के लिए ट्रेनिंग देते समय बच्चों को उनके शरीर के प्राइवेट पार्ट्स के बारे में सिखाने का अच्छा समय है। शरीर के प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बताने के लिए पालतू जानवरों के नाम और बोलचाल के शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए। बिना किसी हिचकिचाहट या शर्म के प्राइवेट पार्ट्स के सही नाम सिखाना ज़रूरी है, ताकि जब कोई उन्हें गलत तरीके से छूए, तो उन्हें इसके बारे में बात करने में शर्म न आए।”
बच्चों को शब्दों के बारे में बताएं
डॉ. सल्दान्हा की बातों का समर्थन करते हुए बेंगलुरु की चाइल्ड राइट्स ऐक्टिविस्ट छवि डावर कहती हैं कि बच्चों को यौन शोषण के बारे में बोलने के लिए एक भाषा सिखाएं, ताकि ऐसा होने पर वे इसका खुलासा कर सकें। यह सेफ टच और अनसेफ टच का मतलब समझाकर और उम्र के अनुसार तरीके से शरीर के अंगों और यौन शोषण के बारे में सिखाकर किया जा सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शब्दावली बहुत मायने रखती है। ‘गुड टच और बैड टच’ के बजाय ‘सेफ टच और अनसेफ टच’ का उपयोग करें, क्योंकि यह अस्वीकार्यता और अपराध की भावना, बदनामी और अन्य भावनाओं के जन्म आदि का कारण बन सकता है।
एमपॉवर, मुंबई की सीनियर साइकोलॉजिस्ट मेघना कारिया कहती हैं, “माता-पिता बच्चों को सिखा सकते हैं कि सेफ टच से मन में अच्छी भावनाएं पैदा होती हैं, जैसे अच्छा लगता है, गर्मजोशी और खुशी जैसी भावनाएं पैदा होती हैं और इसमें हाथ मिलाना, पीठ थपथपाना और किसी प्रियजन से गले मिलना शामिल है।”
कारिया आगे कहती हैं, “अनसेफ टच आपको भ्रमित, भयभीत और असहज महसूस कराता है, जैसे प्राइवेट पार्ट्स को छूना। बच्चों को असुविधा महसूस होने पर भागना और चीखना सिखाएं और तुरंत अपने माता-पिता या अभिभावकों को इसकी सूचना देना सिखाएं।”
डावर के अनुसार, “घर में खुली बातचीत का माहौल तैयार करना और सेक्स जैसे विषयों पर चर्चा करते समय बच्चों को चुप नहीं कराना चाहिए या उनकी यौन जिज्ञासा के लिए उन्हें नहीं डांटने से बच्चों को यौन शोषण के बारे में बोलने के लिए सशक्त बनाने में काफी मदद मिलेगी।”
बच्चे की ‘नहीं’ का सम्मान करें
डॉ. सल्दान्हा कहती हैं कि बच्चों को अपने शरीर पर नियंत्रण जताने की स्वायत्तता सिखाएं और स्पष्ट सीमाएं स्थापित करने के लिए कहें।
डॉ. सल्दान्हा कहती हैं, “पांच साल की उम्र तक, माता-पिता अपने बच्चे को स्नान कराते समय अपने प्राइवेट पार्ट्स को स्वयं धोने के लिए कह सकते हैं, जिससे उन्हें अपने शरीर पर नियंत्रण का एहसास होगा और जानकारी मिलेगी कि क्या छूना ठीक है और क्या नहीं।”
डावर माता-पिता द्वारा बच्चे की ‘नहीं’ का सम्मान करने के महत्व को बताती हैं।
डावर कहती हैं, “जब किसी बच्चे की ‘नहीं’ का घर में सम्मान किया जाता है, तो उन्हें दूसरी जगह भी नहीं कहने का अधिकार मिल जाता है। अगर कोई उनकी अस्वीकृति का सम्मान नहीं करता है, तो संभावना अधिक हो जाती है कि वह माता-पिता को बताए।”
बाल यौन शोषण के संभावित संकेत
मुंबई के फोर्टिज हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट और पीडियाट्रीशियन डॉ. जेसल शेठ ने बच्चे के यौन शोषण के कुछ संकेतों के बारे में बताया:
- शरीर पर चोट के निशान
- लैंगिक रूप से इंफेक्टेड इन्फेक्शन
- चाल में बदलाव
- मूड स्विंग्स
- चिड़चिड़ापन औ जलन
- नखरे
कारिया कहती हैं कि हाइपो/हाइपर सेक्सुअलाइजेशन, यौन कंटेंट के प्रति आकर्षण, अपने यौन अंगों के साथ खेलना, दोस्तों के साथ अत्यधिक सेक्स प्ले, अलग रहने की कोशिश करना और माता-पिता से चिपने रहना भी संभावित संकेत हो सकते हैं।
इनमें से कुछ संकेतों के यौन शोषण के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं और इसलिए माता-पिता को इन संकेतों पर कड़ी नजर रखने और आगे की जांच करनी चाहिए।
कारिया कहती हैं, “बाल यौन शोषण के भविष्य में होने वाले प्रभाव बहुत घातक हो सकते हैं, जिनमें स्ट्रेस डिसऑर्डर, एंग्जायटी, आत्मसम्मान में कमी, शारीरिक असुरक्षा का भाव, विश्वास में कमी और आपधारित भावना का विकास जैसे मामले हो सकते हैं।”
कब कोई बच्चा दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करता है
किदांबी के अनुसार, “सुरक्षित रखने वाले और सुरक्षा करने वाले लोगों में माता-पिता अक्सर सबसे पहले नंबर पर आते हैं और ऐसे में माता-पिता को बच्चे को दोषी नहीं बनाना चाहिए या घटना को सामान्य नहीं मानना चाहिए। उन्हें बेहतर ढंग से सामना करने के लिए सहानुभूति और स्वीकृति दिखानी होगी। प्रोफेशनल लोगों की मदद लेनी होगी और दुर्व्यवहार के लंबे समय के साइकोलॉजिकल प्रभावों को कम करना होगा।”
सेक्सुअल अपराधों (POCSO) से बच्चों की सुरक्षा के माध्यम से इसे नियंत्रित करने के कानूनी तरीके हैं, जो बच्चे की सुरक्षित करते हैं और दोषी को कठोर दंड सुनिश्चित करते हैं।
संक्षिप्त विवरण
बाल यौन शोषण एक बहुत बड़ी समस्या है, जिसकी रिपोर्ट बहुत कम की जाती है। बच्चों को सेफ और अनसेफ टच सिखाने से उन्हें अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार को समझने और मुखर होकर बोलने का अधिकार मिल सकता है, जिससे लंबे समय में होने वाले दुष्परिणाम कम हो सकते हैं।