कई वर्ष पहले, बेंगलुरु की पार्वती पी, जो उस समय 20 वर्ष की एक युवा महिला थीं, उनको सांस लेने में परेशानी होती थी। वह अस्थमा से पीड़ित थी। 32 वर्ष के बाद भी पार्वती 54 साल की उम्र में अपनी बेटी और उसके दोस्तों के साथ आसानी से ट्रेकिंग पर चली जाती है।
अपनी युवावस्था में एक मित्र के सुझाव देने के लिए पार्वती धन्यवाद देती हैं। पार्वती का जोर जोर से साँस लेना और सांस फूलना पुरानी बात है। वह कहती हैं-“जब से मैंने प्राणायाम के बारे में सुना है और इसका अभ्यास करना शुरू किया, मेरा जीवन ही बदल गया है।” पिछले 32 वर्षों में, “इसने न केवल मेरे श्वसन तंत्र को मजबूत किया है बल्कि मेरे पूरे शरीर को हल्का और स्वस्थ महसूस कराया है।”
वह कहती हैं- “मेरे दिन की शुरुआत सूर्य नमस्कार (सूर्य नमस्कार आसन) और श्वास योग जैसे कपालभाति* और अनुलोम-विलोम प्राणायाम* से होती है। जब से मैंने ब्रीथिंग एक्सरसाइज का अभ्यास करना शुरू किया तब से मैं ठीक से सांस ले पा रही हूँ।”
क्या है प्राणायाम?
दिल्ली स्थित इंटरनेशनल योगा इंस्ट्रक्टर और योयोगिक जो कि समग्र स्वास्थ्य और स्वास्थ्य के लिए एक डिजिटल मंच है, उसकी फाउंडर शायनी नारंग प्राणायाम के बारे में बताती हैं।
केंद्रित या योगिक श्वसन के रूप में लोकप्रिय है, यह अष्टांग-योग कहे जाने वाले योग के आठ महत्वपूर्ण अंगों में से एक है।
प्राणायाम एक पूर्ण श्वास योग क्रिया है जो शरीर का मन के साथ तालमेल करती है। प्राण का अर्थ है जीवन, जीवनाधार शक्ति (या वायु); और आयाम का अर्थ है संयम या नियंत्रण।
प्राणायाम का नियंत्रित श्वास अभ्यास उस जीवनाधार शक्ति (प्राण) की गुणवत्ता को बढ़ाने का एक सम्पूर्ण तरीका प्रदान करता है जिसे हम साँस के रूप में अंदर लेते हैं। इसके नियमित अभ्यास से श्वसन तंत्र को फिर से जीवंत करने में मदद मिलती है और अनुचित श्वास अभ्यास के कारण होने वाली स्थितियों को रोकने में मदद मिलती है।
नारंग कहती हैं,-“प्राणायाम में तीन चरण शामिल होते हैं, जैसे कि पूरक या नियंत्रित साँस लेना, कुम्भक या सांस द्वारा अंदर ली गई वायु को नियंत्रित रखना, और रेचक या साँस छोड़ना। “कुछ सेकंड के लिए सांस द्वारा अंदर ली गई वायु को नियंत्रित रखना एक महत्वपूर्ण चरण है जहां सीने में अधिकतम फैलाव होता है, और यह हमें फेफड़ों की पूरी क्षमता का उपयोग करने की अनुमति देता है।”
प्राणायाम के लाभ
- फेफड़ों को मजबूत बनाता है
तमिलनाडु के, विनायक मिशन मेडिकल कॉलेज, के शोधकर्ताओं की एक टीम ने, फेफड़े के काम पर छह सप्ताह के प्राणायाम कोर्स के प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए एक अध्ययन किया।
उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि छह सप्ताह के अल्पकालिक प्राणायाम अभ्यास के साथ पल्मोनरी फंक्शन के परीक्षण मानकों में सुधार हुआ है। शोध में यह भी कहा गया है कि श्वसन रोगों जैसे कि अस्थमा, एलर्जिक ब्रोंकाइटिस, पोस्ट–निमोनिया रिकवरी, तपेदिक और ऑक्यूपेशनल डिजीज यानी नौकरी की वजह से होने वाले रोग के इलाज और रोकथाम के लिए प्राणायाम को फेफड़ों को मजबूत करने वाले उपकरण के रूप में प्रचारित किया जा सकता है।
- श्वास क्रिया
बेंगलुरु के रमैया मेडिकल कॉलेज एंड टीचिंग हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 12-15 साल के आयु वर्ग के 49 स्कूली बच्चों को शामिल करते हुए एक साल का लम्बा अध्ययन किया, उन्हें कम से मध्यम स्तर का अस्थमा था। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि प्राणायाम का अभ्यास करना अस्थमा से पीड़ित किशोरों के इलाज के लिए एक उपयुक्त उपचार हो सकता है क्योंकि इससे उनके फेफड़ों के काम में सुधार होता है और स्थिति की गंभीरता भी कम हो जाती है।
- हाइपरवेंटिलेशन का प्रबंधन
हाइपरवेंटिलेशन एक चिकित्सा स्थिति है जहां कोई अत्यधिक सांस लेता है और यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा में वृद्धि करता है और साथ ही रक्त में CO2 की मात्रा को काफी कम कर देता है। इसके लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, गंभीर थकान और बेचैनी शामिल हैं।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय द्वारा प्रकाशित एक केस स्टडी में चर्चा की गई है कि नाक के माध्यम से वैकल्पिक रूप से सांस लेने से स्थिति को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
- धूम्रपान से छूटकारा दिलाए
महामारी विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में किए गए एक अध्ययन में धूम्रपान करने वालों को शामिल किया गया जो इस आदत से बाहर आने का प्रयास कर रहे थे और तम्बाकू की लालसा से लड़ रहे थे। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि योगिक श्वसन अभ्यास का तम्बाकू सेवन की लालसा को कम करने में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शोधकर्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रतिभागी योगिक श्वसन अभ्यास के लिए अनुभवहीन थे और यदि अध्ययन के तहत आने वाली आबादी को प्राणायाम तकनीकों में आगे प्रशिक्षित किया गया तो परिणाम अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
- तनाव कम करें
निद्रा संबंधी परेशानियों और तनाव से छुटकारा पाने के लिए श्वसन व्यायाम एक सहारा है। इन्हें तनाव हार्मोन के स्तर को कम करने साथ ही अनुभूति, व्याकुलता और सामान्य स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए दिखाया गया है।
अध्ययनों से पता चला है कि धीमी गति और तेज गति वाले श्वास अभ्यास दोनों ही तनाव को दूर करने में मदद करते हैं। एक अध्ययन ने निष्कर्ष दिया है कि धीमा प्राणायाम स्थिर कार्डियोवैस्कुलर फ़ंक्शन वाले लोगों में तनाव को कम करता है जबकि कार्डियोवैस्कुलर अवस्था से ग्रसित लोगों के लिए तेज गति वाले व्यायाम का सुझाव नहीं दिया जाता|
क्या इसके कोई दुष्प्रभाव हैं?
नारंग कहती हैं, “हालांकि ब्रीथिंग एक्सरसाइज सभी के लिए सुरक्षित हैं, लेकिन विशेषज्ञ की सलाह लेना और ब्रीथिंग एक्सरसाइज की पूरी प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब कोई चिकित्सीय स्थिति हो। गर्भवती महिलाओं और गंभीर स्थिति वाले लोगों को एक विशेषज्ञ की उपस्थिति में व्यायाम करना चाहिए।”
व्याख्याकर्ता:
अनुलोम-विलोम प्राणायाम (वैकल्पिक-नासिका श्वसन) | दाहिने नथुने को दाहिने हाथ के अंगूठे से बंद करके बाएं से श्वास लें। इसी प्रकार बायें नथुने को बायें हाथ के अंगूठे से बंद कर दायीं ओर से श्वास को बाहर निकालें। यह वैकल्पिक-नासिका श्वास के एक चरण को पूरा करता है। |
कपालभाति | दोनों नथुनों के माध्यम से साँस लेना तथा प्रत्येक साँस छोड़ने के दौरान 60-120 साँस/मिनट की तीव्र गति से पेट को हिलाकर/फड़फड़ा कर तेजी से सांस को छोड़ना। |
एक प्रतिक्रिया
शरीरके लिये जितना भोजन जरूरी है,उतना ही पचाने के लिये आंतरिक अँगो को सुचारू रुपसे काम प्राणायाम के माध्यम से अच्छी तरहसे काम करते है।